कबीर सिंह: अश्लील और यौन जुगुप्सा भरे शर्मनाक संवादों पर तालियाँ पीट रहा है दर्शक, क्या यही है 21वीं सदी का भारत!

कबीर सिंह (Kabir Singh) की सफलता ने फिल्म उद्योग को हैरान कर दिया है। लम्बे समय बाद कोई ऐसी फिल्म आई है जिसे दर्शक दोबारा देखने को लालायित हो रहा है। कबीर सिंह या तो खूब पसंद की जा रही है या सख्त नापसंद। इस फिल्म को पूरी तरह से महिला विरोधी कहा जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस फिल्म के संवादों को लेकर भी दर्शकों द्वारा बजाई जा रही तालियों पर आश्चर्य हो रहा है। फिल्म के संवाद जहाँ घोर महिला विरोधी, अश्लील और यौन जुगुप्सा भरे हैं उन पर बजने वाली तालियों को सुनकर यह प्रश्न उठता है कि क्या यह वही भारत जिसे हम 21वीं सदी का भारत कह रहे हैं।

कबीर सिंह को मिली सफलता ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि आज भी भारत का पुरुष महिला को अपने पैर की जूती समझता है। पुरुषवादी धारणा वाले दर्शक इस फिल्म को बहुत पसन्द कर रहे हैं। वे कबीर सिंह की हर हरकत पर तालियां पीट रहे हैं और सीटियां बजा रहे हैं। इसका सबूत फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार प्रदर्शन है। जितनी इस फिल्म की आलोचना होती जा रही है, इसका कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है।

आइए डालते हैं एक नजर फिल्म के पिछले पांच दिनों के कारोबार पर—

21 जून शुक्रवार 20.21 करोड़
22 जून शनिवार 22.71 करोड़
23 जून रविवार 27.91 करोड़
24 जून सोमवार 17.54 करोड़
25 जून मंगलवार 16.53 करोड़
कुल 5 दिन कारोबार 104.90 करोड़ रुपये।

सोमवार व मंगलवार टेस्ट फिल्म ने डिस्टिंक्शन माक्र्स के साथ पास किया है। सोमवार को फिल्म ने 17.54 करोड़ और मंगलवार को 16.53 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। पांच दिनों में यह फिल्म 104.90 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर चुकी है। यह कारोबार इस बात का संकेत दे रहा है कि भारतीय दर्शक आज भी महिलाओं पर अपना वर्चस्व देखना पसन्द करता है। फिल्म में जो दर्शक कबीर सिंह की हरकतों व संवादों पर तालियाँ पीट रहा है, वह फिल्म देखते हुए स्वयं को कबीर सिंह मान रहा है। वास्तविक जिन्दगी में जो काम वह नहीं कर पा रहा है, उसे परदे पर नायक द्वारा करते हुए देखना उसे सुकून प्रदान कर रहा है। उदाहरण के तौर पर कबीर सिंह जबरन नायिका का चुम्बन लेता है। फिल्म के पिछले पांच दिनों के कारोबार को देखते हुए यह संकेत मिल रहा है कि यह फिल्म अपने प्रदर्शन के 2 सप्ताह में 200 करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी। फिल्म को छोटे से लेकर बड़े शहर और मल्टीप्लेक्स से लेकर सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर तक इसे पसंद किया जा रहा है। टू टीयर शहरों में इस फिल्म को ज्यादा कामयाबी मिल रही है।

फिल्म को लेकर कुछ क्रिटिक्स ने तीखी आलोचना की हैए लेकिन दूसरी ओर ज्यादातर दर्शक इस फिल्म को मनोरंजक मान रहे हैं जिसमें महिलाओं को महज पैर की जूती माना गया है और इसे प्रेम तथा समर्पण का नाम दिया गया है।