सवालों के घेरे में ‘कबीर सिंह’, महिलाओं को बेइज्जत और उनके अस्तित्व को नकारती है फिल्म

कबीर सिंह (Kabir Singh) कई मामलों में गलत है। इस तरह की फिल्में यकीनन युवाओं के बीच गलत संदेश भेजेंगी। एक सीन में सनकी आशिक कबीर एक लडक़ी को चाकू दिखाकर उसे कपड़े उतारने को कहता है। भारत में जहां दुष्कर्म और छेडख़ानी पहले से ही इतनी बढ़ी हुई है वहां इस तरह के सीन से क्या साबित किया जा सकता है।

निर्देशक ने पहली फिल्म में यह किया वो गलत था, लेकिन दूसरी फिल्म में इसे दोहराना बहुत ही ज्यादा गलत है। इसे किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता है। यह फिल्म किस हद तक गलत है और महिलाओं के खिलाफ है वो कमाल आर खान की ट्वीट से पता लगाया जा सकता है।

कबीर सिंह (Kabir Singh) फिल्म में शाहिद (Shahid Kapoor) की एक्टिंग की तारीफ हो रही है। उन्होंने वाकई काफी मेहनत की है। लेकिन इस फिल्म को करने के बाद अब शाहिद कभी फेमिनिज्म की बात सीधे तौर पर नहीं कर पाएंगे। अगर वो कभी ऐसा करते हैं तो कहीं न कहीं उन्हें यह याद दिलाया जाएगा कि वो कबीर सिंह फिल्म के हीरो थे।

इस फिल्म को कुछ और तरीकों से भी बनाया जा सकता था, लेकिन महिलाओं की बेइज्जती करना और उन्हें अपनी वस्तु समझना यकीनन बेहद गलत संदेश है जो इस फिल्म से दिया गया है। उम्मीद है कि जिस तरह से ऑडियंस इस फिल्म को देखने के लिए उमड़ी है वो इस फिल्म से कोई संदेश न ले क्योंकि इसे किसी भी तरीके से एक अच्छी फिल्म तो नहीं कहा जा सकता है।