जयपुर / जब थियेटर के ऑफिस में पहुंचकर इरफान बोले थे- मुझे एक्टिंग करनी है

बॉलीवुड में अपनी दमदार ऐक्टिंग के जरिए करोड़ों लोगों के दिलों में राज करने वाले राजस्थान के एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं। बुधवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके जाने की खबर के साथ ही अब बॉलीवुड और उनके होमटाउन जयपुर में शोक की लहर छा गई है। इससे पहले उनकी मां सईदा बेगम भी दो दिन पहले ही दुनिया से रुखसत हुई थीं। इरफान के अभियन करियर की शुरुआत जयपुर से ही हुई थी। यहां रवींद्र मंच से इरफान ने करियर की तरफ पहला कदम बढ़ाया था। लेकिन, अभिनय में हरफनमौला और मनमौजी रहे इरफान की थियेटर में शुरुआत का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है। इरफान का जन्म जयपुर के एक कारोबारी परिवार में हुआ था। मूलरूप से यह परिवार टोंक के पास एक गांव का रहने वाला था। वे एक मुस्लिम पठान फैमिली से थे। इरफान का पढ़ाई में कभी मन नहीं लगा। वे जयपुर के चौगान स्टेडियम में क्रिकेट खेलने जाया करते थे। इसके चलते उनका चयन सीके नायडू ट्रॉफी के लिए भी हो गया था। इसके बावजूद उनके परिवार ने उन्हे क्रिकेट में करियर बनाने की परमीशन नहीं दी। इसके बाद इरफान क्रिकेट से दूर होते चले गए और थिएटर से जुड़े।

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थियेटर के ऑफिस में पहुंचकर इरफान बोले थे- मुझे एक्टिंग करनी है

दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में इरफान ने बताया था कि वे एक दिन यूं ही रवींद्र मंच पहुंच गए थे। वहां मौजूद लोगों से उन्होंने कहा कि वे नाटक करना चाहते हैं। जिसके जवाब में वहां मौजूद लोगों ने उनसे कहा था कि ये तो ऑफिस है। यहां नाटक नहीं होते। उसके बाद वहां नाटक करने वाली मंडली से मिले। फिर यही से उनके अंदर अभिनय के कैनवास में रंग भरना शुरू हुए। इरफान ने बताया था कि इस दौर में उन्होंने रविंद्र मंच में 'जलते बदन' नाटक किया था। नाटक के साथ-साथ इरफान की शुरुआती पढ़ाई भी जयपुर से ही हुई। अपनी पढ़ाई के दौरान की बातें भी की थी। उन्होंने बताया था कि एक वो वक्त भी था जब एन्जॉय करने के लिए वे छुप-छुप कर यूनिवर्सिटी के पीछे एक ढाबे पर जाया करते थे। वे बचपन से काफी शर्मीले रहे, मगर बगावती फितरत उनके अंदर हमेशा रही। जयपुर में नाटक को समझने के बाद इरफान दिल्ली चले गए और वहां नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ाई के दौरान इसकी बारीकियां सीखीं।

इंग्लिश समझने और बोलने में दिक्कतें होती थीं

इरफान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पढ़ाई को लेकर उनके घर में हमेशा गंभीर माहौल रहा। जयपुर में शुरुआती पढ़ाई के लिए घर के नजदीकी सरकारी स्कूल में जाते थे, लेकिन मां चाहती थी कि वे इंग्लिश मीडियम स्कूल से बेहतरीन तालीम हासिल करें। तब पास के दूसरे कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला करवा दिया। पहले कभी इंग्लिश से करीबी रिश्ता नहीं रहा, इसलिए लैंग्वेज समझने और बोलने में दिक्कतें होती थीं। पहली बार इंग्लिश में सभी को बात करते देखा। इंग्लिश में बात नहीं कर पाने की वजह से अक्सर स्कूल में सजा मिलती।

बता दें 2018 में इरफान खान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर का पता चला था। लंदन में उनका इलाज चल रहा था। इसके बाद उनकी तबीयत में सुधार होने के बाद वह भारत वापस आ गए थे। बीते दिनों उनकी मां का निधन हो गया था। लॉकडाउन के चलते वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे।