‘डॉन’ किसी को मंजूर नहीं था शीर्षक, आज वहीं बना ब्रांड: अमिताभ बच्चन

रविवार 12 मई को अमिताभ बच्चन की सुपर हिट फिल्म ‘डॉन’ ने अपने प्रदर्शन के 41 साल पूरे कर लिए। आज भी जब ‘डॉन’ का नाम लिया जाता है तो सबसे पहले अमिताभ बच्चन का गम्भीर चेहरा नजर आता है और जेहन में गूंजता है—‘यह मुझको और तुम को मालूम है कि रिवाल्वर में गोलियां नहीं हैं, पुलिस यह नहीं जानती’ या फिर ‘मुझे इसके जूते पसन्द नहीं आए’—ये कुछ ऐसे संवाद हैं जो आज भी दर्शकों के दिलो दिमाग में छाए हुए हैं। मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने कहा है कि साल 1978 में आई उनकी हिट फिल्म ‘डॉन’ के शीर्षक को किसी ने स्वीकृति नहीं दी थी, क्योंकि निर्माताओं का ऐसा मानना था कि एक हिंदी फिल्म के शीर्षक के लिए यह सही नहीं है। ‘डॉन’ ने रविवार को सिल्वर स्क्रीन पर 41 साल पूरे कर लिए। इस मौके पर 76 वर्षीय अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर इस फिल्म के बारे में लिखा।

बिग बी ने लिखा, ‘डॉन’ एक ऐसा नाम था, जिसे मार्केट में किसी की मंजूरी नहीं मिली थी। वे (निर्माता) कभी नहीं समझ पाए कि इसका मतलब क्या है और उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि ‘डॉन’ जैसा नाम किसी हिंदी फिल्म के शीर्षक के लिए सही है। अगर सच कहा जाए..तो कई लोगों के लिए यह एक हास्यप्रद शीर्षक था।’ उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म का शीर्षक सुनने में एक अंडरगारमेंट ब्रांड के जैसा लग रहा था। अमिताभ ने लिखा, ‘उस वक्त एक मशहूर ब्रांड के बनियान का नाम भी ‘डॉन’ था। बाजार में जब लोग उस बनियान कंपनी का नाम लेते थे तो सुनने में वह बिल्कुल फिल्म के शीर्षक ‘डॉन’ के जैसे लगता था और ऐसे में किसी फिल्म को ऐसा शीर्षक देना जो किसी अंडरगारमेंट को व्यक्त कर रहा है, इसमें थोड़ा सा भय था।’ अमिताभ ने कहा कि उस वक्त के लोकप्रिय ‘गॉडफादर’ सीरीज की वजह से ‘डॉन’ शब्द को इतना प्रचार मिला था। इस एक्शन थ्रिलर फिल्म की कहानी को सलीम खान-जावेद अख्तर ने मिलकर लिखा था जिसे नरीमन ईरानी ने प्रोड्यूस किया और चंदा्र बरोट ने इसे अपना निर्देशन दिया था। ‘डॉन’ में अमिताभ बच्चन के अलावा जीनत अमान, प्राण, इफ्तेखार, हेलेन, ओम शिवपुरी, सत्येन्द्र कपूर और पिंचू कपूर ने भी काम किया था।

अमिताभ ने कहा कि एक आउटडोर सेट ढहने के दौरान एक बच्चे की जान बचाने के बाद ईरानी की जान चली गई। उन्होंने लिखा, ‘वह बच्चे को बचाने के लिए दौड़े, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान वह गिर पड़े और उनके कूल्हे में चोट आई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जटिलताएं धीरे-धीरे बढ़ती गई और वह उससे कभी बाहर नहीं निकल पाए।’ ‘डॉन’ एक ऐसा शीर्षक जो किसी को मंजूर नहीं था, आज अपनी लोकप्रियता के चलते एक ब्रांड बन चुका है। इस शीर्षक को लेकर जावेद अख्तर के बेटे फिल्मकार फरहान अख्तर दो फिल्में ‘डॉन’ और ‘डॉन-2’ बना चुके हैं।