जब तक जीवित हूं महिलाओं के प्रति भेदभाव के खिलाफ लड़ता रहूंगा: अमिताभ बच्चन

गत रविवार को मुम्बई में महाराष्ट्र सरकार द्वारा हेपेटाइटिस बी को लेकर एक कार्य योजना शुरू की है, जिसके लिए उन्होंने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को अपने साथ जोड़ा है। मीडिया से बातचीत करते हुए अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने इस अवसर पर बताया कि वो क्योंकर इस कार्य योजना के साथ जुड़े हैं। अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का कहना है कि विवाहित महिलाओं को हेपेटाइटिस-बी के चलते घर से निकाल देने की कहानियां सामने आना दुर्भाग्यूपर्ण हैं। वह इस भेदभाव के खिलाफ हैं और जब तक वह जीवित हैं, तब तक इसके खिलाफ लड़ते रहेंगे। इस कार्य योजना के शुभारम्भ के अवसर पर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे भी मौजूद थे।

अमिताभ बच्चन ने कहा, ‘‘मुझे इस बड़े अभियान में दिलचस्पी थी कि भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित अन्य संगठन इससे निपटने के प्रयास कर रहे हैं। मेरे परिवार के डॉक्टर और उनके अन्य डॉक्टर दोस्तों ने मुझसे मुलाकात की और मुझे इस बारे में अवगत कराया कि इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। मैं जिस तरह से भी सहमत हो सकता था, तुरंत सहमत हो गया। दो चीजें थीं, जिन्होंने मुझे आकर्षित किया। पहली यह कि हेपेटाइटिस-बी के बारे में जानकारी का प्रसार करना..ज्यादातर लोग इस बीमारी के बारे में नहीं जानते, लेकिन यह जीवन के लिए खतरा है, इसलिए मुझे लगा कि भारत के नागरिक के रूप में इसके बारे में जागरूकता फैलाना मेरा कर्तव्य है। जब बीमारियों के खिलाफ लडऩे की बात आती है तो महिलाओं के प्रति भेदभाव को देखकर उन्हें दुख होता है।

दूसरी बात जिसने मुझे हैरान और आहत किया, वह यह था कि विशेष रूप से महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाना.. यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे ऐसी कहानियों के बारे में पता चला है जहां हेपेटाइटिस-बी से पीडि़त विवाहित महिलाओं को घर से बाहर निकाल दिया जाता है। महिलाएं देश की ताकत का आधा हिस्सा हैं। वे हमारे देश की ताकत हैं, इसलिए उनके साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करना चाहिए, जिसकी वे हकदार हैं। अगर हम उनके साथ इसलिए भेदभाव करना शुरू कर देते हैं कि वे एक विशेष बीमारी से पीडि़त हैं तो फिर यह स्वीकार्य नहीं है और मैं इसके लिए तब तक लड़ूंगा जब तक कि मैं जीवित हूं।’’