मुझे फिर से डिप्रेशन में चले जाने का डर सताता रहता है : दीपिका पादुकोण

फिक्की लेडिज ऑर्गेनाइजेशन (एफएलओ) की ओर से शनिवार को दिल्ली में आयोजित ‘फाइंडिंग ब्यूटी इन इम्परफेक्शन’ विषय पर आयोजित चर्चा के दौरान बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण डिप्रेशन ने डिप्रेशन से अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि इस बारे में सबको बताकर उनका उद्देश्य 'बहादुर' दिखना नहीं था। 32 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि जब उसने अपने संघर्ष के बारे में पहली बार बताया था तो वह सिर्फ खुद से और अपने फैंस के प्रति 'ईमानदार' बनना चाहती थीं। ये बात चार साल पुरानी है। दीपिका ने कहा कि इसको दूसरों से साझा करना मेरे लिए बहुत जरूरी था। 'इसने मेरी जिंदगी बदल दी। बहुत ज्यादा जागरूक नहीं थी। मैं किस दौर से गुजर रही थी, इससे जरा भी परिचित नहीं थी।"

पद्मावत की अभिनेत्री ने कहा कि मेरी मां ने सबसे पहले मेरी पीड़ा को समझा और जाना कि मैं किस दौर से गुजर रही हूं। दीपिका ने याद करते हुए कहा, "मैं बिल्कुल भी प्रेरित महसूस नहीं कर रही थी। मुझे नहीं मालूम था कि मैं अपनी जिंदगी से क्यों खुश नहीं थी। मेरी मां ने सबसे पहले समझा और मुझे काउंसलर के पास लेकर गई। वो समझ गई थी कि मुझे चिकित्सा की जरूरत है।"

दीपिका ने आगे बताया, "मैं पूरी तरह से पारदर्शिता महसूस की। डिप्रेशन के चलते मुझे यह समझ में आया कि जिंदगी कितनी नाजुक है। इसने मुझे लोगों के विचारों, भावनाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाया।" उन्होंने जोर देकर कहा कि हर किसी को अपनी बात रखनी चाहिए और लोगों को किसी के बारे में तत्काल धारणा नहीं बनाना चाहिए।

बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों में शुमार दीपिका ने कहा, "हम लोगों के बारे में तत्काल धारणा बना लेते हैं। किसी के बारे में जजमेंट देना बहुत आसान है लेकिन जब आपको यह पता चलता है कि वह व्यक्ति किस दौर से गुजरा है तो आपको अपने आसपास के लोगों के प्रति और जागरूक हो जाते हैं।"

एक्ट्रेस ने कहा, "जब मैं चिंतित रहने लगी तो मुझे परेशानी महसूस हुई। मैंने तत्काल अपना ख्याल रखने और अपने विचारों पर काबू रखने पर ध्यान दिया क्योंकि यह मेरे लिए बहुत बुरा अनुभव था। तब से मैं हमेशा जागरुक रहती हूं। जाहिर है, मुझे फिर से डिप्रेशन में चले जाने का डर सताता रहता है। इसलिए मैं अपने विचारों, भावनाओं के प्रति अब हमेशा ध्यान देती हूं।"