भारतीय सिनेमा के ख्यातनाम संगीतकार ए.आर. रहमान आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। ए.आर. रहमान का संगीत श्रोताओं के दिलो-दिमाग पर शैम्पेन की तरह चढता है। इनके संगीत का सुरूर कुछ ऐसा ही है। यह धीरे-धीरे श्रोताओं के मन में अपनी जगह बनाता है और फिर ऐसा बसता है कि उसे वर्षों तक भुलाया नहीं जा सकता है।
हिन्दी सिनेमा में वैसे तो उनकी शुरूआत मणिरत्नम की हिन्दी में डब फिल्म ‘रोजा’ से हुई थी। वर्ष 1992 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म के गीतों ने हिन्दी भाषी क्षेत्रों के श्रोताओं को ऐसा मंत्रमुग्ध किया कि इसके 28 लाख रिकॉर्ड बिके, जबकि मूल रूप से तमिल में बनी इस फिल्म के 2 लाख रिकॉर्ड बिके थे।
वर्ष 1992 में पहली बार किसी फिल्म के लिए स्वतंत्र रूप से संगीत देने वाले रहमान को मणिरत्नम ने अपनी फिल्म ‘रोजा’ के जरिये श्रोताओं से परिचित कराया था। फिल्मों में अपनी पहचान बनाने से पहले रहमान ने दक्षिण के कई नामचीन संगीतकारों जैसे एम.एस. विस्वनाथन, इल्लैयाराजा, रमेश नायडू और राज कोटि के साथ काम किया था। रहमान इल्लैयराजा से काफी प्रभावित रहे हैं। इसकी बानगी उनके शुरूआत दौर की फिल्मों के संगीत में मिलती है।
‘रोजा’ मूल रूप से तमिल भाषा में बनी फिल्म थी जिसमें अरविन्द स्वामी और मधु ने शीर्षक भूमिका निभाई थी। मूल फिल्म के गीतों के साथ ही इसके हिन्दी डब वर्जन के गीतों ‘छोटी सी आशा’, ‘रोजा जानेमन’ आदि ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ था। ‘रोजा’ के लिए रहमान ने 1992 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में रजत कमल प्राप्त किया था। वर्ष 1992 से शुरू हुआ उनका फिल्म सफर क्षेत्र, देश की सीमाओं को लांघता हुआ 2008 में विश्व सिनेमा में छाया।