स्त्री 2 में ऑन-स्क्रीन अपने पिता के सपने को पूरा करेंगे अभिषेक बनर्जी

इस वर्ष बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त स्लीपर हिट मुंज्या देने वाले निर्माता दिनेश विजान अपनी ब्लॉकबस्टर हॉरर कॉमेडी फिल्स स्त्री का सीक्वल लेकर 15 अगस्त को दर्शकों के सामने आ रहे हैं। इस फिल्म में मुख्य रूप से वे ही सितारे नजर आएंगे जो स्त्री में नजर आए थे। इन्हीं में शामिल हैं अभिषेक बनर्जी जो अभिनेता होने के साथ-साथ कास्टिंग निर्देशक भी है और इन्होंने स्त्री में जना की भूमिका निभाई थी।

भारतीय अभिनेता अभिषेक बनर्जी को हमेशा उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए सराहा जाता है। विभिन्न भूमिकाएँ निभाने की उनकी क्षमता ने उन्हें भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में एक प्रमुख कारक बना दिया है। चाहे वह पाताल लोक का हथौड़ा त्यागी हो या मिर्ज़ापुर का कंपाउंडर हो या फिर हॉट स्टार की सीरीज आखिरी सच का मनोपीड़ित, अभिषेक द्वारा निभाई गई भूमिकाएँ दर्शकों के दिमाग में जीवन भर के लिए रह जाती हैं।

अभिषेक बनर्जी इन दिनों अपनी 15 अगस्त को प्रदर्शित होने वाली फिल्म स्त्री-2 के प्रमोशन करते नजर आ रहे हैं। इस फिल्म में वे एक बार फिर से जना की भूमिका में नजर आएंगे। हाल ही में उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में 'स्त्री 2' में अपने लेटेस्ट किरदार के साथ एक बेहद व्यक्तिगत लेकिन मज़ाकिया संबंध के बारे में खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा एक IAS अधिकारी बने, लेकिन दिलचस्प और प्यारी बात यह है कि नियति ने अभिषेक के लिए कुछ और ही सोच रखा था। अभिषेक बनर्जी, जो वास्तविक जिन्दगी में तो अपने पिता का सपना सच नहीं कर पाए, लेकिन सिनेमाई परदे पर वे अपने पिता के सपने को सच करने जा रहे हैं। स्त्री-2 में अभिषेक बनर्जी एक IAS उम्मीदवार जना का किरदार निभाते नज़र आयेंगे।

अभिषेक के पिता हमेशा चाहते थे कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी बनें। अब अभिषेक इस स्थिति को मधुर और हास्यपूर्ण तरीके से देखते हैं कि उनके पिता की इच्छाओं को उनके वास्तविक व्यक्ति द्वारा नहीं बल्कि एक स्क्रीन पर किरदार द्वारा साकार किया जा रहा है जिसे वह निभा रहे हैं।

इस संबंध पर विचार करते हुए, अभिषेक ने कहा, मेरे पिता हमेशा चाहते थे कि मैं एक IAS अधिकारी के रूप में अपना करियर बनाऊं। जबकि मेरा दिल हमेशा अभिनय पर था, 'स्त्री 2' में यह भूमिका ऐसा महसूस कराती है जैसे मेरे पिता के सपने ने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा। जना का किरदार निभाना, जो मेरे लिए वही बनना चाहता है जो मेरे पिता चाहते थे, वास्तव में मधुर है लेकिन मैं और मेरे पिता अभी भी इस बात पर हंसते हैं कि उनका बेटा होने के नाते मैंने उनके सपने को साकार करने के लिए अनोखा तरीका ढूंढा, अगर हकीकत में नहीं तो कम से कम स्क्रीन पर ही सही।”

अभिषेक बनर्जी ने भी अपने किरदार की सफलता की संभावनाओं पर मज़ाकिया ढंग से टिप्पणी की और आगे कहा, IAS परीक्षा की तैयारी के साथ जना के संघर्षों को देखकर मुझे संदेह होता है कि उसने अपने जीवन में कभी इसे पास किया होगा। लेकिन, मुझे खुशी है कि मैं कम से कम उस महत्वाकांक्षा को साकार कर सका एक फिल्म के माध्यम से।