कभी रिक्शे और टैक्सी के पीछे पोस्टर चिपकाता था आज का यह सुपरस्टार, खाते में दर्ज है 2000 करोड़ी फिल्म

सिने उद्योग में कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अपनी शुरूआत सबसे निचली पायदान से की। हिन्दी सिनेमा के पहले और आखिरी शोमैन रहे स्वर्गीय राजकपूर ऐसे फिल्मकार रहे जिन्होंने अपनी शुरूआत स्पॉट बॉय के रूप में की थी। उसी तरह से वर्तमान समय के सुपर सितारे आमिर खान ने भी अपने करियर की शुरुआत बेहद आम तरीके से की थी। उन्होंने अपने चाचा नासिर हुसैन के साथ फिल्म निर्माण की बारीकियों को सह निर्देशक के तौर पर सीखने के साथ-साथ किस तरह से फिल्म को व्यावसायिक सफलता दिलाई जा सकती है उसके गुर सीखे। बतौर सह निर्देशक काम करते हुए उन्होंने कैमरे के पीछे और आगे की बारीकियों को बखूबी सीखा।

स्पॉट बॉय से सुपरस्टार तक: आमिर खान का प्रेरणादायक सफर

ख़ान ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में नासिर हुसैन द्बारा निर्माण व निर्देशित फ़िल्म यादों की बारात (1973) और मदहोश (1974) से की। ग्यारह साल बाद, उन्हें एडल्ट अभिनय डेब्यू का मौका मिला जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, वह थी केतन मेहता की होली (1984)।

नासिर हुसैन ने अपने भतीजे आमिर खान को बतौर नायक अपने बेटे मंसूर खान निर्देशित कयामत से कयामत तक के जरिये फिल्म उद्योग में उतारा। आमिर खान ने अपनी पहली फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ का प्रचार खुद सड़कों पर रिक्शा और टैक्सी के पीछे पोस्टर चिपकाकर किया था। 1988 में आई ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई और आमिर रातों-रात स्टार बन गए।|

‘कयामत से कयामत तक’ से ‘दंगल’ तक: आमिर खान का स्टारडम

बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि नासिर हुसैन द्वारा निर्मित और मंसूर खान द्वारा निर्देशत कयामत से कयामत तक का शीर्षक कयामत से कयामत तक तुम मेरे हो था, लेकिन प्रदर्शन पूर्व नासिर हुसैन को यह शीर्षक बहुत लम्बा लगा जिसके चलते उन्होंने इसके आखिरी तीन शब्द तुम मेरे हो को हटा दिया। जब कयामत से कयामत तक बॉक्स ऑफिस सफल हो गई उसके बाद उन्होंने तुम मेरे हो नाम से आमिर खान और जूही चावला की जोड़ी को लेकर एक और फिल्म बनाई जो बॉक्स् ऑफिस पर असफल हो गई थी।

पहली फिल्म की जबरदस्त सफलता के आमिर ने कई फिल्मों में काम किया जिसमें से ज्यादातर बॉक्स ऑफिस पर असफल रही और कुछ फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई। इन सफल फिल्मों में जहाँ दिल, दिल है कि मानता नहीं, हम हैं राही प्यार के आदि शामिल हैं, वहीं असफल फिल्मों में जवानी जिन्दाबाद, अव्वल नम्बर, लव लव लव, अफसाना प्यार का, दौलत की जंग हैं।

एक परफेक्शनिस्ट की पहचान: आमिर खान का चयनित फिल्मी करियर

1988 से लेकर 1994 तक काम करते हुए आमिर खान को इस बात का अहसास हो गया कि अगर सिनेमा में अपनी पहचान को स्थायी रखना है तो दर्शकों को कुछ ऐसी फिल्में देनी होंगी जो आम फिल्मों से अलग हों। अपने इसी निर्णय के चलते उन्होंने जो फिल्में साइन कर रखी थी उन्हें पूरा करने का निर्णय लेते हुए नई फिल्मों को साइन करने से अपने आप को रोक लिया। 1995 से आमिर खान ने फिर सफलता का स्वाद चखना शुरू किया। उनकी फिल्मों—रंगीला, अकेले हम अकेले तुम, राजा हिन्दुस्तानी, इश्क, गुलाम, सरफरोश, लगान, दिल चाहता है—ने बॉक्स ऑफिस को लगातार गुलजार बनाए रखा। इन फिल्मों की सफलता ने आमिर खान को एक अलग स्टार के रूप में स्थापित किया। लगान और दिल चाहता है के बाद आमिर ने 4 साल का लम्बा ब्रेक लिया और वर्ष 2005 में उन्होंने मंगल पांडे से वापसी की। हालांकि उनकी वापसी सफल नहीं रही लेकिन वो अपनी शर्त वर्ष में एक फिल्म पर टिके रहे।

रंग दे बसंती से दंगल तक: आमिर खान की वापसी और बुलंदियाँ


वर्ष 2006 में राकेश ओमप्रकाश मेहरा की रंग दे बसंती ने आमिर खान को एक बार फिर से बुलंदियों पर पहुँचाया। इसके बाद आमिर खान ने लगातार सफलतम फिल्मों की झड़ी लगा दी। ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान (2018) की असफलता ने उन्हें एक बार फिर से सोचने पर मजबूर किया। हालांकि 2006 से लेकर 2017 तक उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर फना, तारे जमीं पर, गजनी, थ्री इडियट, तलाश, धूम, पीके, और दंगल सरीखी फिल्में दी।

दंगल – भारत की सबसे बड़ी कमाई वाली फिल्म

आमिर खान की 2016 में आई फिल्म ‘दंगल’ ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में ₹2,070 करोड़ की रिकॉर्डतोड़ कमाई की। यह फिल्म महिला पहलवान गीता और बबीता फोगाट के जीवन पर आधारित थी, और आमिर ने उनके पिता महावीर सिंह फोगाट की भूमिका निभाई थी। ‘दंगल’ चीन समेत कई देशों में बड़ी हिट साबित हुई और इसने आमिर को इंटरनेशनल सुपरस्टार के दर्जे पर पहुंचा दिया।

आगामी प्रोजेक्ट्स – सितारे ज़मीन पर और बायोपिक

आमिर खान अब फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’ में नजर आएंगे, जो 20 जून 2025 को रिलीज़ होने वाली है। यह फिल्म 'तारे ज़मीन पर' की स्पिरिचुअल सीक्वल मानी जा रही है। इसके बाद आमिर भारतीय सिनेमा के जनक ‘दादा साहब फाल्के’ की बायोपिक में काम करेंगे, जिसका निर्देशन राजकुमार हिरानी करेंगे।

प्रेरणादायक यात्रा

आमिर खान की जिंदगी की यह यात्रा हर युवा के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने दिखाया कि यदि जुनून और ईमानदारी हो, तो रिक्शा के पीछे पोस्टर चिपकाने वाला लड़का भी करोड़ों दिलों पर राज कर सकता है। आमिर की फिल्मों में जहां एक ओर मनोरंजन है, वहीं समाज के प्रति जिम्मेदारी और संदेश भी होता है।