जरूरी नहीं महंगी सनस्क्रीन ही आपकी स्किन के लिए हो अच्छी, ध्यान में रखें ये बातें

गर्मी हो या सर्दी का मौसम सूरज की तेज किरणों की वजह से त्वचा को कई नुकसान का सामना करना पड़ सकता हैं। ऐसे में सूरज से स्किन को प्रोटेक्शन देने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल किया जाता हैं। आजकल बाजार में कई तरह के सनस्क्रीन लोशन उपलब्ध हैं। ऐसे में निर्णय लेना काफी मुश्किल हो जाता है कि कौन सा सनस्क्रीन अच्छा होता है। जरूरी नहीं है कि महंगा वाला सनस्क्रीन ही आपकी स्किन के लिए अच्छा रहेगा। आज इस कड़ी में हम आपके लिए सनस्क्रीन से जुड़ी जरूरी जानकारी लेकर आए हैं जिसका ध्यान रखना बहुत जरूरी हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

स्किन टाइप के अनुसार करें सनस्क्रीन का चुनाव

किसी के बताने पर या फिर एड देखकर सनस्क्रीन खरीदने की गलती ना करें। कोशिश करें कि सनस्क्रीन के बारे में रिसर्च करें और अपने स्किन टाइप को देखकर ही खरीदें। हमेशा लेबल की जांच करें क्योंकि कई ऐसे भारतीय कॉस्मेटिक ब्रांड हैं, जो बिना किसी साइंटिफिक इंग्रेडिएंट्स के सनस्क्रीन पेश करते हैं। बेहतर होगा कि आप खरीदने से पहले किसी डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह लें। ड्राई स्किन से लेकर नॉर्मल स्किन तक के कुछ ऐसे इंग्रेडिएंट्स होते हैं, जो आपकी सनस्क्रीन में जरूर होने चाहिए।

सनस्क्रीन में कितना होना चाहिए एसपीएफ

गर्मियों में सनस्क्रीन इस्तेमाल करने के लिए उसमें एसपीएफ 30 या फिर उसके ऊपर होना चाहिए। यह बेहद महत्वपूर्ण है जो आपको सूरज की यूवी किरणों से बचाता है। इसके अलावा अगर आप सोचते हैं कि इसे सिर्फ बाहर निकलने से पहले लगाना चाहिए तो ऐसा नहीं है। दरअसल मोबाइल फोन कीब्लू लाइट या फिर एलईडी लाइट्स का भी प्रभाव आपकी त्वचा पर पड़ता है। ऐसे में घर में रहते वक्त भी सनस्क्रीन जरूर इस्तेमाल की जानी चाहिए। वहीं घर से बाहर निकलने से करीब 20 मिनट पहले इसे अप्लाई करें।

खरीदते समय इसके फिल्टर्स पर दें ध्यान

सनस्क्रीन खरीदने से पहले इस बात का पता होना जरूरी है कि वो किस तरह के सन फिल्टर्स से बनी है। ऐसा सनस्क्रीन ही खरीदना सबसे अच्छा होता है जिसमें फिजिकल या मिनरल फिल्टर्स जैसे की जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम ऑक्साइड का इस्तेमाल हुआ हो। आपको बता दें कि सनस्क्रीन में दो तरह के फिल्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है। केमिकल बेस्ड फिल्टर्स और मिनरल बेस्ड फिल्टर्स। केमिकल बेस्ड फिल्टर्स में होमोसैलेट, ऑक्सीबेनजोन, बेनजोनफिनोन जैसे केमिकल्स होते हैं जो सूर्य की हानिकारक किरणों को सोख लेते है। केमिकल बेस्ड फिल्टर्स स्किन के पोर्स में घुसने में सक्षम होता है जिसकी वजह से ये सेंसिटिव स्किन के लिए परेशानी का कारण बन जाते हैं। वहीँ मिनरल बेल्ड फिल्टर्स में जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम ऑक्साइड सूर्य की किरणों को सोखने की जगह रिफ्लेक्ट करते हैं। मिनरल फिल्टर्स स्किन में घुसते नहीं हैं और सेंसिटिव स्किन के लिए अच्छे भी होते हैं।

फिजिकल एक्टिविटी के दौरान भी यूज करें सनस्क्रीन

गर्मियों के मौसम में कई बार काफी ह्यूमिडिटी होती है, जिससे पसीना काफी निकलता है। कुछ लोग अधिक पसीना आने की वजह से सनस्क्रीन नहीं लगाते हैं। यह गलत है, आप चाहें तो वॉटर रेसिस्टेंट सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह त्वचा के लिए अच्छी होती है। स्विमिंग करते हैं या फिर अधिक पसीना निकलता है तो आपको वॉटर रेसिस्टेंट सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। कोशिश करें इसे हर घंटे अप्लाई करें।

सिर्फ चेहरे पर ही नहीं इन जगहों पर भी लगाएं सनस्क्रीन

सनस्क्रीन हर जगह अप्लाई की जानी चाहिए। सिर्फ चेहरे या फिर हाथ-पैर को कवर करना काफी नहीं होगा। आंखों के आसपास की त्वचा, होंठ, गर्दन जैसे एरिये को भी सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने की आवश्यकता होती है। ऐसे में इसका खास ख्याल रखें। लिप के लिए आप चाहें एसपीएफ युक्त लिप बाम का उपयोग कर सकते हैं। गर्मियों में सन प्रोटेक्शन के लिए इन चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए।

सिमित मात्रा में करें इस्तेमाल

सनस्क्रीन मार्केट में मिलने वाला एक प्रोडक्ट है। भले ही सनस्क्रीन हमारी स्किन को धूप से बचाने में कारगर मानी जाती हो, लेकिन इसे बनाने में टेट्रासाइक्लिन और सल्फा फेनोथियाजिन जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। अगर हद से ज्यादा इसे स्किन पर लगाया जाए, स्किन पर एलर्जी की समस्या भी हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि सनस्क्रीन में पीएबीए केमिकल्स डाले जाते हैं। जिन लोगों को भी सनस्क्रीन लगाने के बाद एलर्जी महसूस हो तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

एक्सपायरी डेट करें चेक


सनस्क्रीन की भी एक एक्सपायरी डेट होती है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि इसे लगातार इस्तेमाल किया जा सकता है, जो कि सच है, लेकिन एक्सपायर हो जाने के बाद उसे यूज नहीं किया जा सकता है। 2 से 3 साल तक आप सनस्क्रीन को इस्तेमाल कर सकते हैं। एक्सपायर हो जाने के बाद यह पूरी तरह से खराब हो जाती हैं और सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने में असमर्थ होती हैं। इसलिए इस बात का ध्यान जरूर रखें।