आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) व्रत 24 जून शुक्रवार को है। यह एकादशी पापों के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन श्री हरि के ध्यान, भजन और कीर्तन से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। योगिनी एकादशी के दिन उपवास रखने और साधना करने से समस्याओं का अंत हो जाता है। यहां तक कि पीपल का पेड़ काटने का पाप भी इस एकादशी पर नष्ट हो जाता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है। जो लोग योगिनी एकादशी व्रत रहेंगे, वे योगिनी एकादशी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें।
ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक, देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान भगवान शंकर सृष्टि का संचालन करते हैं। इन महीनों में शुभ कार्यों की मनाही होती है। निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी के बीच योगिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इसलिए इसे बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
योगिनी एकादशी की कथाएक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि हे प्रभु! आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी क्या है, उसकी महत्व क्या है, इसके बारे में मुझे बताने का कष्ट करें। तक भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इस एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इस के पुण्य प्रभाव से मृत्यु लोक से मुक्ति प्राप्त होती है। इसकी कथा इस प्रकार है।
अलकापुरी में कुबेर नाम का राजा रहता था। वह प्रत्येक दिन भगवान शिव की पूजा करता है। एक माली हेम हर दिन पूजन के लिए फूल लेकर आता था। उसकी पत्नी का नाम विशालाक्षी था। एक दिन वह फूल लेकर आया, लेकिन पत्नी की सुंदरता के वशीभूत होकर कामवासना में लिप्त हो गया। उधर राजा पूजा के लिए फूल की प्रतीक्षा करता रहा। दोपहर तक जब माली नहीं आया, तो राजा ने सैनिकों को उसका पता लगाने को कहा। तब सैनिकों ने कहा कि वह कामी है, वह पत्नी के साथ हास्य विनोद कर रहा होगा।
इस पर राजा ने उसे तत्काल बुलाने को कहा। वह डराते हुए राजा के दरबार में उपस्थित हुआ। क्रोधित राजा कुबेर ने उस माली से कहा कि तुमने भगवान शिव का अनादर किया है। कुबेर ने उसे श्राप दिया कि वह पृथ्वी लोकर पर कोढ़ी बनकर कष्ट भोगेगा और पत्नी का वियोग सहन करेगा। श्राप के कारण माली हेम स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर गिर गया। उसे कोढ़ हो गया और उसकी पत्नी भी गायब हो गई। वह भूख, प्यास से जंगल में भटकता रहा, उसने भयंकर दुख भोगे। एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा। वह उस ऋषि के चरणों में दंडवत हो गया।
तब ऋषि ने उससे पूछा कि इतना कष्ट भोगने का क्या कारण है? ऐसे तुमने कौन से कर्म किए थे? तब उस हेम माली ने पूरी घटना उनको बताई। तब ऋषि ने कहा कि तुमने सत्य घटना के बारे में बताया है, इसलिए तुमको एक व्रत के बारे में बताता हूं। यदि तुम आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी योगिनी एकादशी व्रत को करोगे, तो सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। ऋषि के बताए अनुसार हेम माली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी व्रत किया और भगवान विष्णु का पूजन किया। उस व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप मिट गए और वह पहले के स्वरूप में आ गया। उसको पत्नी भी प्राप्त हो गई। वह सुखीपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगा। तभी से योगिनी एकादशी की महिमा पूरे ब्रह्मांड में फैल गई और इसे पापों से प्रायश्चित वाली एकादशी के नाम से पूजा जाने लगे।
योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्तयोगिनी एकादशी का व्रत 24 जून को रखा जाएगा। एकादशी तिथि 23 जून रात 9:41 बजे से शुरू होगी और 24 जून को सूर्योदय तक रहेगी। 25 जून को एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।
योगिनी एकादशी व्रत के नियम- सुबह नहाकर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
- श्रीहरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।
- इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें। किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अनाज, कपड़े, जूते और छाते का दान करें। - इस दिन केवल जल और फल ग्रहण करके ही उपवास रखें।