Sawan Special : शिव को बेहद पसंद है बेलपत्र, चढ़ाते समय करें इन नियमों का पालन

भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना जारी हैं। इस पूरे महीने भगवान शिव की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का बहुत महत्व माना जाता हैं। बेलपत्र के पेड़ पर भगवान शिव और माता पार्वती का वास होता है। स्कंदपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने अपना पसीना पोंछकर फेंका जिसकी कुछ बूंदे मंदार पार्वती पर गिरी जिससे बेल के वृक्ष की उत्पत्ति हुई है। जो लोग बेलपत्र चढ़ाते हैं उससे भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। लेकिन इस दौरान कुछ नियमों का भी ध्यान रखने की जरूरत होती हैं जिनकी अनदेखी करने से दोष लग सकता हैं। इसलिए आज हम आपको बताएंगे शिव पर बेलपत्र चढ़ाने से जुड़े नियमों के बारे में...

ऐसा होना चाहिए बेलपत्र


शिव पुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए 5 पत्‍ते वाला बेलपत्र का मिल जाना सबसे अच्‍छा होता है। लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ होन के कारण आसानी से नहीं मिल पाता है। इसलिए आप 3 पत्र वाला बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं। याद रखें कि तीन पत्‍ते में यदि एक भी पत्‍ता टूटा हो तो ऐसा बेलपत्र शिवजी को नहीं चढ़ाना चाहिए।

बेलपत्र पर नहीं होने चाहिए ऐसे निशान

शिवजी की पूजा के लिए बेलपत्र चुनते समय एक बात का ध्‍यान रखें के पत्‍तों के ऊपर धारियां नहीं होनी चाहिए। कुछ पत्रों पर चक्र के निशान होते हैं ऐसे निशान वाले बेलपत्र शिवजी को नहीं चढ़ाने चाहिए। या फिर किसी अन्‍य प्रकार के दाग धब्‍बे पत्‍ते पर हों तो ऐसे बेलपत्र चढ़ाना दोषपूर्ण माना गया है। मान्‍यता है कि चक्र और वज्र वाले बेलपत्र खंडित माने जाते हैं। पूजा में इनका फल नहीं प्राप्‍त होता है।

बेलपत्र नहीं होना चाहिए इस अवस्‍था में


सावन के शिवजी पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए चुनते वक्‍त देखें कि यह कहीं से भी कटा और फटा नहीं होना चाहिए। शिव पुराण में ऐसे बेलपत्र को शिवजी पर चढ़ाना वर्जित माना गया है। अगर आपके पास अधिक बेलपत्र न हों तो एक भी चढ़ा सकते हैं। एक बेलपत्र चढ़ाने से भी उतना ही फल प्राप्‍त होता है। मान्यता है कि बेलपत्र के मूलभाग में सभी तीर्थों का वास होता है। अगर आपसे गलती से बेलपत्र जमीन पर गिर जाए तो उसे पुनः उठाने में संकोच न करें। क्योंकि बेलपत्र कभी भी अपवित्र नहीं होता है। यानि आप मिट्टी में या जमीन पर गिरे हुए बेलपत्र को पुनः धोकर शिवजी पर चढ़ा सकते हैं।

इस तरह से शिवलिंग पर चढ़ाएं बेलपत्र

शिवपुराण में बेलपत्र शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं, इस बारे में भी बताया गया है। बेलपत्र को उलटकर चिकनी वाली तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। यह भी बताया गया है कि अगर आप अधिक बेलपत्र नहीं जुटा पाए हैं तो एक को भी जल से बार-बार धोकर शिवजी को चढ़ा सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता है। पहले से चढ़ाया बेलपत्र फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है। भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाते समय अनामिका, अंगूठे और मध्यम अंगुली की मदद से चढ़ाएं। इसके साथ- साथ जल की धार अर्पित करें। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते समय उसकी दिशा का खास ध्यान रखना चाहिए।

कब तोड़ें बेलपत्र


सावन सोमवार को बेलपत्र को तोड़ने के लिए यह नियम बताया गया है कि इस दिन चढ़ाने के लिए बेलपत्र रविवार को ही तोड़कर रख लें। शिवपुराण में बताया गया है कि सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ा जाता है। कहते हैं सोमवार और चतुर्दशी के दिन बेलपत्र तोड़ने से शिवजी अप्रसन्‍न होते हैं। वहीँ चतुर्थी, नवमी, अष्टमी और अमावस्या की तिथियों को बेलपत्र चढ़ाना वर्जित माना गया है। बेलपत्र के पत्तों को शाम के वक्त नहीं तोड़ना चाहिए वरना इससे भगवान शिव क्रोधित हो सकते हैं। बेलपत्र को तोड़ने से पहले और तोड़ने के बाद जरूर प्रणाम करना चाहिए।