विधिपूर्वक रखें सावन के सोमवार का व्रत, मिलेगा भरपूर लाभ

आज सावन के महीने का पहला सोमवार हैं और इसी के साथ ही नागपंचमी का पर्व भी हैं। यह शुभ संगम आपके जीवन में सकारात्मकता लाते हुए जीवन की सभी परेशानियों को दूर कर सकता हैं। आज के दिन सभी भक्तगण भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। इसके लिए भक्तों के द्वारा सोमवार का व्रत भी किया जाता हैं। इसका पूर्ण लाभ मिल सके इसके लिए आज हम आपको सावन के सोमवार को व्रत करने की पूर्ण विधि बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

स्कंदपुराण के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन सोमवार के दिन एक समय भोजन करने का प्रण लेना चाहिए। भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती जी की पुष्प, धूप, दीप और जल से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को तरह-तरह के नैवेद्य अर्पित करने चाहिए जैसे दूध, जल, कंद मूल आदि। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।

रात्रि के समय जमीन पर सोना चाहिए। इस तरह से सावन के प्रथम सोमवार से शुरु करके कुल नौ या सोलह सोमवार इस व्रत का पालन करना चाहिए। नौवें या सोलहवें सोमवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए। अगर नौ या सोलह सोमवार व्रत करना संभव ना हो तो केवल सावन के चार सोमवार भी व्रत किए जा सकते हैं।

अपने भोले स्वभाव के कारण भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है। इसी कारण भगवान शिवजी से जुड़े व्रतों में किसी कड़े नियम का वर्णन पुराणों में नहीं है। साथ ही शास्त्रों के अनुसार सावन सोमवार व्रत में तीन पहर तक उपवास रखने के बाद एक समय भोजन करना चाहिए। सिर्फ सावन सोमवार ही नहीं अन्य शिवजी से जुड़े व्रतों में भी सूर्योदय के बाद तीन पहर (9 घंटे) तक उपवास रखना चाहिए। साथ ही भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं जैसे भांग- धतुरा आदि उनकी पूजा में अवश्य रखने का प्रयत्न करना चाहिए।