महाशिवरात्रि 2020 : शिवपुराण के अनुसार इस तरह करें पूजन, मिलेगा पूर्ण लाभ

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में जाना जाता हैं जो कि पूरे साल की सबसे महत्वशाली शिवरात्रि होती हैं। शिवरात्रि का व्रत पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति करवाता हैं। महाशिवरात्रि व्रत का शिवपुराण में विशेष महात्म्य है। इस दिन किया गया व्रत-उपवास और शिव पूजन भगवान शिव का आशिर्वाद प्राप्त करवाते हैं। आज हम आपको शिवपुराण के अनुसार किए जाने वाले पूजन की जानकारी देने जा रहे हैं जिससे आपको इसका पूर्ण लाभ मिल सकें। तो आइये जानते हैं महाशिवरात्रि पूजा विधि के बारे में।

शिवपुराण के अनुसार व्रती पुरुष को प्रातः काल उठकर स्नान संध्या कर्म से निवृत्त होने पर मस्तक पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्षमाला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए। तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक व्रत का इस प्रकार संकल्प करना चाहिए।

शिवरात्रिव्रतं ह्येतत्‌ करिष्येऽहं महाफलम।
निर्विघ्नमस्तु से चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।

यह कहकर हाथ में लिए पुष्पाक्षत्‌ जल आदि को छोड़ने के पश्चात यह श्लोक पढ़ना चाहिए-

देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोऽस्तु से
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाशः शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि॥

हे देवदेव! हे महादेव! हे नीलकण्ठ! आपको नमस्कार है। हे देव! मैं आपका शिवरात्रि व्रत करना चाहता हूं। हे देवश्वर! आपकी कृपा से यह व्रत निर्विघ्न पूर्ण् हो और काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रु मुझे पीड़ित न करें।