Navratri 2019: मां कालरात्रि को समर्पित नवरात्रि का सातवां दिन, जानें पूजा विधि और स्त्रोत पाठ

आज नवरात्रि का सातवां दिन हैं जो कि मातारानी के कालरात्रि स्वरुप को समर्पित होता हैं। इस दिन सभी भक्तगण आस्थापूर्वक कालरात्रि (Kalratri) स्वरुप की पूजा करते हैं और उनसे जीवन की सभी मनोकामनाओं (Wish) की पूरी होने का आशीर्वाद चाहते हैं। आपको इसका पूर्ण लाभ मिल सके इसके लिए आज हम मां कालरात्रि की पूजा विधि (Worship Method) और स्त्रोत पाठ लेकर आए हैं। इस तरह आस्थापूर्वक मां कालरात्रि की पूजा कर उनका आशीर्वाद पाए।

पूजा विधि

नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए, फिर मां कालरात्रि (Kalratri) की पूजा करनी चाहिए। दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व बताया गया है। इस दिन से भक्त जनों के लिए देवी मां का दरवाज़ा खुल जाता है और भक्तगण पूजा स्थलों पर देवी के दर्शन हेतु पूजा स्थल पर जुटने लगते हैं।

सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें, इसके पश्चात माता कालरात्रि जी की पूजा की जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र (Devi Mantra) का ध्यान किया जाता है। सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है। इस दिन कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मदिरा भी देवी को अर्पित की जाती है। सप्तमी की रात्रि ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है।

स्तोत्र पाठ

हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती। कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी। कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी। कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥