सर्वप्रथम गणेश जी की ही पूजा क्यू?

भगवान श्री गणेश जी का देवताओं में असाधारण महत्व है। किसी भी धार्मिक या मांगलिक कार्य का आरंभ बिना इनकी पूजा के प्रारंभ नहीं होती। गणेश जी देवताओ मे सबसे महत्पूर्ण है इनके होने से बिगड़ते काम भी पुरे हो जाते है। किसी भी उत्सव-महोत्सव में उनका पूजन करना अनिवार्य है। इतना महत्व किसी और देवता की नहीं। हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और चार अंतःकरण हैं। उनके मूल प्रेरक भगवान श्री गणेश हैं।

वास्तव में भगवान श्री गणेश शब्द ओंकार का प्रतीक है।भगवान श्री गणेश उमा-महेश्वर के पुत्र हैं। वे गणों के ईश हैं। स्वास्तिक रूप हैं। इनके अनंत नाम हैं। शुभ कार्यों के लिये गणेश जी के नामों को स्मरण करना चाहिये।

पूजा की जगह पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें अपने सामने एक चोकी पर लाल कपड़ा बिछा लें इस कपड़े पर एक स्वस्तिक बनायें इस स्वास्तिक के बीचोबीच भगवान गणेश जी की प्रतिमा रखें और रोली, मौली, चावल, सुपारी, इलायची, पान, पुष्प, पुष्पमाला, दूर्बा, चंदन धूप, कपूर, दीपक, शहद जल आदि से पूजा करें।

बुधवार का दिन गणेश पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन गणपति जी की पूजा सभी प्रकार की परेशानियों और विघ्नों को तुंरत समाप्त करने वाली होती है।