गणेश चतुर्थी 2020 : भूलकर भी ना करें आज चांद देखने की गलती, जानें कारण

आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी हैं जिसको भगवान गणेश के जन्म के रूप में जाना जाता हैं और गणेश चतुर्थी का पावन त्यौहार मनाया जाता हैं। गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। आज के दिन से जुड़े कुछ नियम होते हैं जिसमें से एक हैं चांद को ना देखना। जी हां, गणेश चतुर्थी के दिन चांद नहीं देखा जाता हैं अन्यथा कलंक लगने का डर बना रहता हैं। पौराणिक कथा के अनुसार श्रीकृष्ण ने एकबार चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लिया था तो उन पर स्यमंतक मणि की चोरी का आरोप भी लगा था। तो आइए जानते हैं इसके बारे में कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद को देखना अशुभ क्यों माना जाता हैं।

दरअसल इसके पीछे गणेशजी का चंद्रमा को दिया हुआ शाप बताया जाता है। यह शाप गणेशजी ने भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को दिया था। इसके पीछे एक कथा है। कथा के अनुसार, एकबार गणेशजी कहीं से भोजन करके आ रहे थे, तभी उनको रास्ते में चंद्रदेव मिले और उनके बड़े उदर को देखकर हंसने लगे।

इससे गणेशजी क्रोधित हो गए और उन्होंने शाप दे दिया कि तुमको अपने रूप पर इतना अंहकार है इसलिए मैं तुमको क्षय होने का शाप देता हूं। गणेशजी के शाप से चंद्रमा और उसका तेज हर दिन क्षय होने लगा और मृत्यु की ओर बढ़ने लगे।

देवताओं ने चंद्रदेव को शिवजी की तपस्या करने को कहा। तब चंद्रदेव ने गुजरात के समुद्रतट पर शिवलिंग बनाकर तपस्या की। चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको अपने सिर पर बैठाकर मृत्यु से बचा लिया था। इसी जगह पर भगवान शिव चंद्रमा की प्रार्थना पर ज्योर्तिलिंग रूप में पहली बार प्रकट हुए थे और सोमनाथ कहलाए गए थे।