शिवलिंग के सामने 3 बार ताली क्यों बजाई जाती है? जानिए हर ताली का खास संदेश

सावन का महीना आते ही देश के कोने-कोने में शिवभक्ति की लहर दौड़ जाती है। मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है, हर कोई भोलेनाथ की कृपा पाने को आतुर नजर आता है। पूजा-पाठ, मंत्रोच्चार और रुद्राभिषेक के साथ-साथ आपने एक और बात जरूर देखी होगी—कुछ श्रद्धालु शिवलिंग के सामने खड़े होकर तीन बार ताली बजाते हैं।

अब सवाल उठता है कि आखिर ये तीन तालियों का रहस्य क्या है? क्यों खासकर तीन बार ही ताली बजाई जाती है? क्या इसके पीछे सिर्फ परंपरा है या कोई आध्यात्मिक संदेश भी छुपा हुआ है?

तालियों की गूंज में छिपा है गहरा आध्यात्मिक भाव

धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो शिवलिंग के समक्ष तीन बार ताली बजाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक सूक्ष्म संवाद है ईश्वर से।

पहली ताली: इसका तात्पर्य है कि भक्त अपनी उपस्थिति भोलेनाथ के दरबार में दर्ज करवा रहा है। यह एक संकेत है कि हे प्रभु, मैं आपके चरणों में हाज़िर हूँ।

दूसरी ताली: इस क्षण में श्रद्धालु अपनी मन की बात, इच्छाएं या कामनाएं भगवान को समर्पित करता है। यह एक आंतरिक प्रार्थना की तरह होती है।

तीसरी ताली: यह आत्मसमर्पण का प्रतीक है। इसका भाव होता है—अब सब कुछ आपके हाथ में है, मेरी भूलों को क्षमा करें और मुझे सही राह दिखाएं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने भी एक बार शिव की उपासना करते समय तीन बार ताली बजाई थी, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उसे अपार शक्तियां और समृद्धि का आशीर्वाद दिया।

सावन में शिवलिंग पर अर्पित करें ये पवित्र सामग्री

सावन का महीना शिवभक्तों के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दौरान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाना शुभ माना गया है।

दूध और दही: शुद्धता और शीतलता का प्रतीक, शिवजी को प्रिय।

सफेद फूल और चंदन:
सौम्यता और समर्पण दर्शाते हैं।

गंगाजल: पवित्रता और आत्मशुद्धि का प्रतीक।

बेलपत्र और शमी के पत्ते: धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी।

धतूरा और गन्ने का रस: यह शिव को प्रिय माने जाते हैं।

घी: आस्था और श्रद्धा का प्रतीक।

विशेषकर चंदन का लेप सावन के दिनों में शिवलिंग पर करना अति शुभ फलदायक माना गया है। कहा जाता है कि इससे मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।