जानें किस-किसको हैं श्राद्ध करने का अधिकार, कहीं आप तो नहीं कर रहे कोई गलती

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से श्राद्ध कर्म शुरू हो जाता हैं। इस साल यह 1 सितंबर, 2020 अर्थात कल से शुरू होने जा रहा हैं। मान्यता हैं कि इन दिनों में पित्तर धरती अपर आते हैं और आशीर्वाद देकर जाते हैं। ऐसे में समस्त पूर्वजों एवं मृत परिजनों का तर्पण किया जाता हैं। लेकिन पितरों के साथ ही उन्हें भी जल दिया जा सकता हैं जिन्हें जल देने वाला कोई न हो। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस-किसको श्राद्ध करने का अधिकार होता हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

- पिता के श्राद्ध का अधिकार उसके बड़े पुत्र को है लेकिन यदि जिसके पुत्र न हो तो उसके सगे भाई या उनके पुत्र श्राद्ध कर सकते हैं। यदि कोई नहीं हो तो उसकी पत्नी कर सकती है।

- श्राद्ध का अधिकार पुत्र को प्राप्त है। लेकिन यदि पुत्र जीवित न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है।

- पुत्र के न रहने पर पत्नी का श्राद्ध पति भी कर सकता है।

- हालांकि जो कुंआरा मरा हो तो उसका श्राद्ध उसके सगे भाई कर सकते हैं और जिसके सगे भाई न हो, उसका श्राद्ध उसके दामाद या पुत्री के पुत्र (नाती) को और परिवार में कोई न होने पर उसने जिसे उत्तराधिकारी बनाया हो, वह व्यक्ति उसका श्राद्ध कर सकता है।

- यदि सभी भाई अलग-अलग रहते हों तो वे भी अपने-अपने घरों में श्राद्ध का कार्य कर सकते हैं। यदि संयुक्त रूप से एक ही श्राद्ध करें तो वह अच्छा होता है।

- यदि कोई भी उत्तराधिकारी न हो तो प्रपौत्र या परिवार का कोई भी व्यक्ति श्राद्ध कर सकता है।