कुम्भ मेला 2019 : नहीं जा पा रहे प्रयागराज कुम्भ में, तो इन 5 कार्यों की मदद से पाए इसका पुण्य

15 जनवरी 2019 से प्रथम शाही स्नान के साथ प्रयागराज में अर्ध कुम्भ की शुरुआत होने जा रही हैं। अपनी भव्यता और दिव्यता के लिए प्रसिद्द कुम्भ में शामिल होने के लिए देश-विदेश से सैलानी आते हैं और आस्था के इस माहौल में पुण्य की प्राप्ति करना चाहते हैं। लेकिन इसी के साथ कई लोग ऐसे होते हैं जो इस अर्धकुम्भ में शामिल होना चाहते हैं लेकिन नहीं हो पाते हैं, तो ऐसे में आप कुछ कार्यों की मदद से इस कुम्भ का पुण्य प्राप्त का सकते हैं। तो आइये जानते हैं उन कार्यों के बारे में।

* प्रतिदिन हल्दी मिले बेसन से स्नान करने के पश्चात्य सुबह-शाम संध्यावंदन करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करें और निम्न मंत्र-क्रिया से स्वयं को पवित्र करें। संध्यावंदन का मंत्र : "ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकांक्ष से बाह्याभ्यंतरः शुचि।"

* हाथ में नारियल, पुष्प व द्रव्य लेकर यह मंत्र पढ़ें। इसके बाद आचमन करते हुए गणेश, गंगा, यमुना, सरस्वती, त्रिवेणी, माधव, वेणीमाधव और अक्षयवट की स्तुति करें। इस मंत्र से आचमन करें- "ॐ केशवायनमः ॐ माधवाय नमः ॐ नाराणाय नमः" का जाप करें।

* जब तक कुंभ चल रहा हैं तब तक प्रतिदिन एक वक्त का सादा भोजन करें और मौन रहें।

* आप किसी योग्य व्यक्ति को दान दे सकते हैं। दान में अन्यदान, वस्त्रदान, तुलादान, फलदान, तिल या तेलदान कर सकते हैं।

* गाय, कुत्ते, पक्षी, कव्वा, चींटी और मछली को भोजन खिलाएं। गाय को खिलाने से घर की पीड़ा दूर होगी। कुत्ते को खिलाने से दुश्मन आपसे दूर रहेंगे। कव्वे को खिलाने से आपके पितृ प्रसंन्न रहेंगे। पक्षी को खिलाने से व्यापार-नौकरी में लाभ होगा। चींटी को खिलाने से कर्ज समाप्त होगा और मछली को खिलाने से समृद्धि बढ़ेंगी।

* आप संकल्प लें- किसी किसी भी तरह के व्यवसन का सेवन नहीं करूंगा, क्रोध और द्वेष वश कोई कार्य नहीं करूंगा, बुरी संगत और कुवचनों का त्याग करूंगा और सदा माता-पिता व गुरु की सेवा करूंगा।