पाना चाहते है नरक चतुर्दशी का लाभ, जानें इसकी पूर्ण पूजन विधि

दिवाली से ठीक एक दिन पहले पूरे देश में छोटी दिवाली मनाई जाती हैं। यह कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का दिन होता हैं। इस दिन को नरक चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता हैं, जिससे जुडी अपनी-अपनी अलग कथाएँ हैं। मन जाता है कि आज के दिन की गई पूजा से नर्क से मुक्ति मिलती है और रूपवान शरीर की प्राप्ति होती हैं। इसका पूर्ण लाभ पाने के लिए आज हम आपको इसकी पूर्ण पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है इसके बारे में।

इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तेल या उबटन लगाकर मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य के उदय होने के बाद नहाता हैं। उसके द्वारा पूरे वर्ष भर में किये गये शुभ कार्यों के फल की प्राप्ति नहीं होती।

सूर्य उदय से पहले स्नान करने के बाद दक्षिण मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से व्यक्ति के द्वारा किये गये वर्ष भर के पापों का नाश होता हैं।

इस दिन विशेष पूजा की जाती है जो इस प्रकार होती है, सर्वप्रथम एक थाल को सजाकर उसमें एक चौमुख दिया जलाते हैं तथा सोलह छोटे दीप और जलाएं तत्पश्चात रोली खीर, गुड़, अबीर, गुलाल, तथा फूल इत्यादि से ईष्ट देव की पूजा करें। इसके बाद अपने कार्य स्थान की पूजा करें। पूजा के बाद सभी दीयों को घर के अलग अलग स्थानों पर रख दें तथा गणेश एवं लक्ष्मी के आगे धूप दीप जलाएं। इसके पश्चात संध्या समय दीपदान करते हैं जो यम देवता, यमराज के लिए किया जाता है। विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो प्रभु को पाता है।