पापांकुशा एकादशी पर मिलती है यमलोक के दुखों से मुक्ति, जानें व्रत कथा

विजयादशमी के त्यौंहार के अगले दिन अर्थात आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी पर किया गया व्रत भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का आशीर्वाद दिलाने के साथ ही हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करता हैं। यहां तक की जो भी व्यक्ति एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग (Heaven) का भागी बनता है। इस दिन किए गए व्रत से समस्त पापों से छुटकारा प्राप्त होता है। इसकी महत्ता को देखते हुए आज हम आपके लिए पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Vrat Katha)

प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा क्रूर था। उसका सारा जीवन पाप कर्मों में बीता। जब उसका अंत समय आया तो वह मृत्यु के भय से कांपता हुआ महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचकर याचना करने लगा- हे ऋषिवर, मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं।

कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का व्रत करके को कहा। महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत किया और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया।