जनवरी 2021 : जानें इस महीने में कब आने वाले हैं कौनसे व्रत और त्यौहार

आज नए साल 2021 का पहला दिन हैं और सभी एक-दूसरे को नए साल की बधाइयां दे रहे हैं। साल के पहले दिन सभी भगवान के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लेते हैं और आने वाले नए साल के शुभ आगमन की कामना करते हैं। जनवरी महीने की शुरुआत पौष मास की कृष्ण पक्ष द्वितीय तिथि से हुई हैं और आने वाले दिनों में कई पर्व और त्यौहार भी आने वाले हैं। आज इस कड़ी में हम आपको जनवरी महीने में आने वाले व्रत और त्यौहार की जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके बहुत काम आएगी। तो आइए जानते हैं इस जनवरी में आने वाले प्रमुख त्योहार की तिथि और उनका धार्मिक दृष्टि से क्या महत्व है।

सफला एकादशी (9 जनवरी, शनिवार)

साल 2021 की शुरुआत भगवान विष्णु की कृपा के साथ हो रही है। सफला एकादशी पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहते हैं। इस बार यह शुभ तिथि 9 जनवरी दिन शनिवार को है। इस एकादशी के व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इस दिन सच्चे मन से पूरे दिन सफलता प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का भजन करना चाहिए।

मासिक शिवरात्रि (11 जनवरी, सोमवार)

प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के दिन शिवरात्रि का व्रत रखने का विधान है। भगवान शिव को समर्पित यह व्रत हर मनोकामनाओं को पूरा करने वाला बताया गया है। व्रत रखने वाले उपासक को यह व्रत प्रात: काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यंत तक करना चाहिए। इस व्रत से उपासक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

लोहड़ी पर्व (13 जनवरी, बुधवार)

मकर संक्रांति से एक दिन पहले प्रसिद्ध लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। वैसे तो इस त्योहार को पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है, लेकिन पंजाब और हरियाणा में इस त्योहार की विशेष रूप से मनाने की परंपरा रही है। दरअसल यह पर्व फसलों के पकने का संकेत देता है।

मकर संक्रांति, कुंभ महापर्व आरंभ (14 जनवरी, गुरुवार)

शास्त्रों में बताया गया है कि जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन को संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्राति का अर्थ हुआ है कि सूर्य मकर संक्रांति के बाद उत्तरायण होते ही सर्दी का लौटना शुरू हो जाता है। इस दिन तिलों का दान करना सबसे उत्तम माना गया है। साथ ही इस दिन कुंभ महापर्व का आयोजन होने वाला है। मृत्युलोक में जिन्हें स्वर्गप्राप्ति की इच्छा है, उन्हें कुंभ स्नान करना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी (24 जनवरी, रविवार)

संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत सबसे उत्तम माना जाता है। इस महीने यह व्रत पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाएगा। इस बार यह शुभ तिथि 24 जनवरी दिन रविवार को है। इस दिन व्रत करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का व्रत रखने वाले व्रतियों को व्रत से पूर्व दशमी के दिन ही एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।

भौम प्रदोष (26 जनवरी, मंगलवार)

प्रदोष का व्रत भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत करने का विधान है। इस व्रत को करने से शिवजी का आशीर्वाद मिलता है और सौ गाय दान देने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन है, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। वैसे ही इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे सोम प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष।

पौष पूर्णिमा, माघ स्नान प्रारंभ (28 जनवरी, गुरुवार)

पुराणों के अनुसार, माह माह में स्नान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। दरअसल पौष पूर्णिमा के दिन ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति चंद्र आदि ग्रहों के माध्यम से अमृत वर्षाकर स्नान आदि करने करने वालों को निरोगी काया सहित पुण्य लाभ प्रदान करती है। माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। इसलिए इस स्नान पर्व पर गंगा स्नान और आचमन विशेष फलदायी होता है।

संकष्ट चतुर्थी (31 जनवरी, रविवार)

माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि को संकटा चौथ कहा जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 31 जनवरी दिन रविवार को है। इस तिथि को वक्रतुंडी चतुर्थी या तिलकूट चतुर्थी भी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश का व्रत रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन तिल का दान देने से आराधक की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।