वट सावित्री व्रत : पूर्ण विधि-विधान से करें पूजन, जानें शुभ मुहूर्त

आज ज्येष्ठ माह की अमावस्या हैं जिसे वटसावित्री वेअत के रूप में भी जाना जाता हैं। आज के दिन हर सुहागन महिला अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 21 मई को रात 9 बजकर 34 मिनट से ही हो गया हैं जो कि 22 तारीख की रात 11 बजकर 8 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में आज पूरे दिन वट वृक्ष की पूजा की जा सकती हैं। स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में वट सावित्री व्रत पूजन का विस्तार से वर्णन मिलता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

वट सावित्री व्रत पूजन विधि विधान

इस व्रत के दिन प्रसाद में खट्टे और अम्ल युक्त पदार्थों को नहीं रखना चाहिए। बहुत से लोग वट सावित्री व्रत को राजा अश्वत्थ की पुत्री देवी सावित्री और सत्यवान की कथा से जोड़कर पतिव्रता सावित्री की केवल पूजा करते हैं। जबकि पुराण के अनुसार पहले ब्रह्माजी की पत्नी देवी सावित्री की पूजा की जानी चाहिेए जिनके आशीर्वाद स्वरूप पतिव्रती कन्या सावित्री का जन्म हुआ था। वट वृक्ष के सामने मीठे और रसयुक्त पदार्थों को रखकर ब्रह्माजी की पत्नी देवी सावित्री और ब्रह्माजी की पूजा की जानी चाहिए। जो लोग विधि पूर्वक यह वट सावित्री व्रत पूजन करते हैं उनके लिए स्कंद पुराण में बताया गया है कि इन्हें वट वृक्ष के पास पूजन करने के बाद किसी सुहागन महिला को पति के साथ भोजन वस्त्र देना चाहिए। इसके बाद स्वयं भोजन करें। वैसे इस व्रत के कई तरीके हैं। आप चाहें तो दिन में मीठा भोजन करें और सूर्यास्त के बाद अन्न जल का त्याग करें। यह इस व्रत की कठिन तपस्या है। अगर ऐसा करना संभव ना हो तो रात को भी मीठा ही भोजन करें। इस व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

वट सावित्री पूजा शुभ मुहूर्त

लेकिन चौघड़िया के हिसाब से सबसे उत्तम समय सुबह में 7 बजकर 9 मिनट से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस समय लाभ और अमृत चौघड़िया होना शुभ फलदायी है। इसके बाद 12 बजे तक राहुकाल रहने से हो सके तो पूजा 12 बजे के बाद करें। 12 बजकर 18 मिनट से दिन के 2 बजे तक शुभ चौघड़िया होने से इस समय भी वट सावित्री की पूजा करना शुभ फलदायी है।