क्या आपके घर में हर छोटी बात पर होता है झगड़ा, वास्तु के इन उपायों से पाए राहत

कोरोना के इस दौर में जहां सभी लोग अपना ज्यादातार समय घर में बिता रहे हैं तो घर के लोगों को आप ज्यादा समय दे पा रहे हैं। एक तरह जहां यह बात अच्छी हैं वहीँ ज्यादा बातें होने से कई बार यह कलह का कारण भी बन जाती हैं। अक्सर देखा जाता हैं कि घर में अकारण ही लोग हर छोटी बात पर झगड़ा कर बैठते हैं और घर की शांति को तबाह करते है। इससे घर में मानसिक परेशानियों के साथ ही कई विपदाएं आती हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ वास्तु उपाय लेकर आए हैं जिनकी मदद से वास्‍तुदोष का नाश कर घर में सुख-शांति का आगमन किया जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।

अगर खर्चों को लेकर होता है झगड़ा तो

वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर आपके घर में आपके घर में धन संबंध‍ित व‍िवाद होते हों। मसलन खर्चों को लेकर या फ‍िर लेन-देन को लेकर तो इसके ल‍िए आपको त‍िजोरी की द‍िशा सही करनी होगी। मान्‍यता है क‍ि त‍िजोरी को हमेशा पूर्व या फ‍िर उत्‍तर की द‍िशा में ही रखना चाह‍िए। गलत द‍िशा में रखी गई त‍िजोरी हमेशा धन संबंध‍ित व‍िवाद को जन्‍म देती है।

पत‍ि-पत्‍नी के बीच होता हो यद‍ि व‍िवाद

वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार अगर क‍िसी पत‍ि-पत्‍नी के बीच क‍िसी न क‍िसी बात पर वाद-व‍िवाद होता ही रहता हो। तो यह वास्‍तुदोष का संकेत है। इससे राहत पाने के ल‍िए जातकों को बेडरूम के कलर का व‍िशेष ध्‍यान रखना चाह‍िए। कभी भी बेडरूम का कलर डार्क नहीं होना चाह‍िए। हमेशा हल्‍के रंगों का प्रयोग करना चाह‍िए। कहते हैं क‍ि हल्‍के रंग आपसी प्रेम और समझदारी को बढ़ाते हैं।

बेवजह की कलह में रखें इनका ध्यान

अगर क‍िसी के घर में बेवजह की कलह मची ही रहती हो। या फ‍िर पर‍िवार के सदस्‍यों में एक-दूसरे के प्रत‍ि प्रेम-स्‍नेह की कमी हो तो यह भी वास्‍तुदोष के चलते होता है। इसल‍िए रात में सोने से पहले पीतल के बर्तन में घी में भीगा हुआ कपूर जला दें। कहते हैं क‍ि इससे कलह और तनाव से राहत म‍िलती है।

छोटी-छोटी बात पर हो झगडा तो

अगर घर के सदस्‍यों के बीच हर छोटी-छोटी बात पर लड़ाई-झगड़े होते हों तो उन्‍हें सतर्क हो जाना चाह‍िए। तुरंत ही वास्‍तुदोष न‍िवारण करना चाह‍िए। इसके ल‍िए सबसे पहले घर के सदस्‍यों के बेडरूम की द‍िशा देख लें। गलत द‍िशा में बेडरूम होने से बेवजह क्‍लेश बढ़ता है। ध्‍यान रखें क‍ि मैर‍िड कपल्‍स का बेडरूम हमेशा दक्षिण-पश्चिम द‍िशा में ही होना चाह‍िए।