वास्तु शास्त्र की इन 7 बातों का ध्यान रख ही खरीदें अपना नया घर, बनी रहेगी जीवन की खुशियां

हर व्यक्ति की अपने जीवन से कामना होती हैं कि वह खुद का घर लें और इसके लिए वह कड़ी मेहनत करते हुए पूंजी संग्रहित करता हैं। इस पूंजी से वह अपना आशियाना लेता हैं और खुशियों की चाहत रखता हैं। लेकिन घर खरीदते समय वास्तु से जुड़ी कुछ बातों पर ध्यान देने जरूरी होता हैं अन्यथा आपकी ये खुशियां कहीं गुम हो सकती हैं। जी हां, घर में वास्तुदोष हो तो आपकी सेहत, नौकरी, करियर, धन सभी पर आपदा आ सकती हैं। इसलिए जरूरी हैं कि घर वास्तुसंगत हो। आज इस कड़ी में हम आपको वास्तु से जुड़ी उन बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें घर खरीदते समय अपने जहन ने रखन चाहिए।

मुख्य द्वार का रखें विशेष ध्यान

यदि आप एक अपार्टमेंट खरीद रहे हैं, तो ब्लॉक के प्रवेश द्वार को उसका मुख्य द्वार माना जाएगा। प्रवेश द्वार उत्तर या उत्तर पूर्व में होना चाहिए। भवन के चारों ओर पर्याप्त खुली जगह होनी चाहिए। आपके घर या फ्लैट के मुख्य द्वार के ठीक सामने लिफ्ट, कोई दीवार या बड़ा पेड़ आदि न हो। यदि ऐसा है, तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है।

सूरज की रोशनी और क्रॉस वेंटिलेशन

वास्तु में उचित प्राकृतिक प्रकाश और वेंटिलेशन का बहुत महत्व है, इसलिए सुनिश्चित करें कि घर में पर्याप्त धूप आ रही हो और घर में अच्छा क्रॉस वेंटिलेशन हो। इन दोनों दिशाओं में से किसी एक में खिड़कियों और बालकनी के साथ उत्तर या पूर्व की ओर वाला फ्लैटआदर्श माना जाता है। सुबह की धूप सकारात्मकता लाती है जबकि दोपहर की अवरक्त किरणें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं, इसलिए यदि कोई खिड़की दक्षिण या पश्चिम में है तो यह वास्तु दोष के अंतर्गत आती हैं। ऐसा घर लेने से बचना चाहिए।

उत्तर-पूर्व में रसोईघर नहीं होना चाहिए


आपको ऐसा फ्लैट खरीदने से बचना चाहिए जिसमें उत्तर-पूर्व में किचन हो। चूंकि इमारत का यह हिस्सा सुबह के सूरज का स्वागत करता है इसलिए यह रहने वाले कमरे या ध्यान कक्ष के लिए उपयुक्त है। दक्षिण-पूर्व की दिशा रसोई के लिए आदर्श स्थान है।

वॉटर स्टोरेज टैंक की दिशा भी है जरूरी


बहुमंजिली इमारत में छत के उत्तर-पूर्वी कोने में पानी की टंकी रखनी चाहिए। सुबह-सुबह सूर्य की किरणें पराबैंगनी किरणों से भरपूर होती हैं जो पानी को शुद्ध करने में मदद करती हैं। घर की छत पर प्लास्टिक की टंकी नहीं होनी चाहिए और यदि हा तो वो गहरे रंग की होनी चाहिए।

शौचालय और स्नानघर उत्तर पूर्व में नहीं होना चाहिए

प्रत्येक फ्लैट में शौचालय और स्नानघर दक्षिण-पश्चिम कोने में या दक्षिण दिशा में बनाए जाने चाहिए। हवा की दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है। यदि शौचालय उत्तर पूर्व में है तो नकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवेश होगा।

बच्चों के कमरे की दिशा


वास्तु के अनुसार बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा पर हों चाहिए। बच्चों के कमरे की खिड़की उत्तर की दीवार पर होनी चाहिए। इससे कमरे में पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश आएगा। यदि बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा पर होने से उनका मन पढ़ाई में लगा रहता है और ध्यान भी एकाग्र रहेगा।

फ्लैट या घर की दीवार दूसरे घर से जुड़ी न हो


दक्षिण या दक्षिण-पश्चिमी दीवार पर खिड़कियां आकार में छोटी होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार घर में पड़ोसी के घर के साथ दीवार जुड़ी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे मिश्रित ऊर्जा पैदा होती है, इसलिए भवन के चारों तरफ खुली जगह छोड़नी चाहिए। चूंकि उत्तर और पूर्व में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है, इसलिए भवन के उत्तर और पूर्व की ओर दक्षिण और पश्चिम की ओर की तुलना में अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए।