घर का सबसे अच्छा कमरा बैठक होता है जहा पर सभी लोग एकत्रित होते है और अपने पुरे दिन भर की बाते एक दुसरे से साझा करते है। टीवी जो कि मनोरंजन का एक अहम् साधन है, वह भी ज़्यादातर बैठक में रखी जाती है। यह वह कमरा होता है जहां घर के सारे लोग दिन में कम से कम 1 बार जमा होते हैं। किसी के भी घर का बैठक का कमरा उस घर में रहने वाले लोगों के स्वभाव का परिचायक होता है। अतः घर के सदस्यों की सुख शान्ति के लिए लिविंग रूम से जुड़े वास्तु के नियमों का आपको पालन अवश्य करना चाहिए। तो आइये जानते है इन बातो को...
# वास्तुशास्त्र के हिसाब से बैठक कक्ष का आदर्श स्थान आपके घर की दिशा पर निर्भर करता है। उत्तर या पूर्व की ओर मुंह किये हुए घर के लिए लिविंग रूम उत्तर पूर्वी दिशा में होना चाहिए। इसी तरह पश्चिम की तरफ मुंह किये हुए घर के लिए लिविंग रूम उत्तर पश्चिमी दिशा में होना चाहिए। अगर आपका घर दक्षिण की तरफ हो तो बैठक कक्ष दक्षिण पूर्वी दिशा की तरफ होना चाहिए।
# फर्नीचर को इस तरह घर में लगाएं कि इससे बैठक कक्ष से अन्य कमरों में जाने में कोई परेशानी ना हो। सामान बिखरा हुआ नहीं होना चाहिए। अगर हो सके तो फर्श पर या किसी टेबल पर एक पोडियम लैंप रखने का प्रयास करें, जिसमें लाल या पीली रोशनी जलती हो। यह रोशनी दक्षिण पूर्वी दिशा की तरफ पड़ने वाले सामानों पर पड़नी चाहिए। इससे घर के लोगो में एकता बनती है।
# बैठक कक्ष में पानी उत्तर दिशा की तरफ ही रखें। यह एक छोटा पानी का झरना हो सकता है जो सारा दिन चलता रहे। जो झरने प्राकृतिक उत्पादों जैसे कॉपर ,पत्थर, कांच, मिट्टी, स्टेनलेस स्टील और बैम्बू से बने होते है लिविंग रूम के लिए अच्छे होते हैं। अपने कमरे में उत्तर की तरफ एक छोटा सा मछलियों का एक्वेरियम भी रखें, जिसमें 1 परिवार की 7 मछलियाँ (लाल और सुनहरी) तथा अलग परिवारों की दो मछलियाँ हों।
# आप बैठक कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए कलाकृतियों का प्रयोग कर सकते हैं। बैठक कक्ष की उत्तरी दीवारों पर लम्बी दूरी के जल के स्त्रोतों की तस्वीर लगाएं, जिसमें पानी के गुणों का वर्णन सामने आ सके।
# बैठक कक्ष का दरवाज़ा पूर्वी या उत्तरी दिशा में होना चाहिए क्योंकि इस दिशा में दरवाजों का होना काफी शुभ माना जाता है। पूर्वी और उत्तरी दिशा में खिडकियों का होना काफी अच्छा माना जाता है। प्रवेश द्वार के ऊपर भगवान् की मूर्तियाँ नहीं रखी जानी चाहिए।