किसी भी भवन की सुंदरता इस बात पर निर्भर करती है वहां रहने वाले लोगों को कितनी अधिक मात्रा में हवा व प्रकाश मिल रहा है। अधिकतम हवा और प्रकाश के लिए घर में बालकनी का होना अनिवार्य है। भवन में बालकनी एक प्रकार से खुले स्थान का विकल्प मानी जाती है। यह ऐसा स्थान है जहां से आप बाहर का नजारा ले सकते हैं। हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उनके घर में बालकनी हो जहां सुबह और शाम फुर्सत के कुछ पल गुजारा जा सके। वास्तु विज्ञान के अनुसार फुर्सत का पल भी बोझिल हो सकता है अगर आपके घर की बालकनी वास्तु के नियमों के अनुसार नहीं बनी हो। आज हम आपको बता रहे है वास्तु के अनुसार बालकनी, जो घर के लिए सुख-शांति का आगमन करें।
* यदि आपका भवन पूर्वमुखी है,तो बालकनी पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। ऐसे भवन में बालकनी पश्चिम या दक्षिण दिशा में कदापि न बनायें।
* दक्षिण दिशा में भूमि का मुख होने पर बलकनी पूर्व दिशा में हो तो ज्यादा अच्छा होता है लेकिन किसी कारण पूर्व दिशा में बालकनी नहीं होने पर दक्षिण दिशा का में बालकनी का होना फायदेमंद होता है।
* पश्चिममुखी भवन में बालकनी को उत्तर या पश्चिम की दिशा में बनाना शुभ माना जाता है।
* जिन लोगों का मकान उत्तरमुखी है, उसमें बालकनी को पूर्व या उत्तर दिशा में बनाना हितकर रहता है।
* अगर घर में जगह की कमी है तो भूलकर भी बालकनी में वॉश बेसिन नहीं लगाना चाहिए। दरअसल वास्तु के अनुसार बालकनी से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसलिए बालकनी में इस तरह की चीजें नहीं लगानी चाहिए।
* अधिकतर लोग घर में जगह की कमी के कारण घर का फालतू सामान बालकनी में रख देते हैं जैसे साइकिल, मैग्जीन। लेकिन वास्तु के अनुसार बालकनी में इस तरह की चीजों का नहीं रखना चाहिए। इससे घर में परिवार के सदस्य तनाव में रहते हैं।
* वास्तु के अनुसार बालकनी के आकार का भी ध्यान रखना चाहिए। कहा जाता है कि बालकनी में कर्व नहीं होना चाहिए।