गणेश जी की स्थापना करते समय इन बातों का रखे विशेष ध्यान

हिन्दू धर्म में सबसे पहले पूजे जाने वाले गणेश जी की बहुत मान्यता हैं। किसी भी शुभ काम से पहले इनकी पूजा से ही शुरुआत की जाती हैं। इन्हें विघ्नहर्ता बताया गया है जो कि हमारे सारे विघ्न का नाश करते हैं। इसलिए हर घर में गणेश जी की स्थापना तो की ही जानी चाहिए। लेकिन गणेश स्थापना के समय बहुत सी बातों का ध्यान भी रखना पड़ता हैं। अन्यथा सुख-शांति प्राप्त होने में दिक्कत आती हैं। आज हम आपको कुछ जानकारी देंगे कि गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते समय कौन सी बातों का ध्यान देना चाहिए। आइये जानते हैं उन महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

* घर के प्रवेश द्वार के सामने : आप घर में कई तरीके से गणेश जी की मूर्ति रख सकते हैं। एक लोकप्रिय तरीका है कि आप घर के प्रवेश द्वार के बिलकुल सामने गणेश जी की मूर्ति रखें। ऐसा विश्वास है कि यह दृष्टि गणेश आपके घर में बुरी शक्तियों को प्रवेश करने से रोकता है तथा घर में समृद्धि लाता है। जब आप गणपति को इस प्रकार रखते हैं तो वे आपके घर के पालक बन जाते हैं। हालाँकि जब भी आप गणपति की मूर्ति को घर के प्रवेश द्वार पर रखते हैं तो इसे जोड़े में रखें। एक जिसका मुख प्रवेश द्वार की ओर हो तथा दूसरी जिसका मुंह विपरीत दिशा में हो। क्यों? क्योंकि यदि आप गणपति की किसी भी मूर्ति को इस प्रकार रखते हैं कि उसका पिछला भाग किसी कमरे की ओर हो तो इससे घर में दरिद्रता आती है। अत: इस क्षतिपूर्ति से बचने के लिए आपको विपरीत दिशा में एक अन्य मूर्ति रखनी चाहिए।

* घर में एक ही जगह पर गणेश जी की दो मूर्ति एक साथ नहीं रखें। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे उर्जा का आपस में टकराव होता है जो अशुभ फल देता है। अगर एक से अधिक गणेश जी की मूर्ति है तो दोनों को अलग-अलग स्थानों पर रखें।

* घर में गणेश जी की बांयीं ओर सूंड वाली मूर्ति रखना अधिक मंगलकारी माना गया है क्योंकि इनकी पूजा से जल्दी फल की प्राप्ति होती है। दायीं ओर सूंड वाले गणपति देर से प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि इस प्रकार की गणपति की मूर्ति केवल मंदिरों में ही मिलती है। अत: घर में बाईं ओर की सूंड वाले, सीधी सूंड वाले या हवा में सूंड वाले गणपति की मूर्ति ही रखें।

* गणपति की मूर्ति के पास अन्य चीज़े कैसे रखी जाएँ। उदाहरण के लिए गणपति की मूर्ति के पास चमड़े से बना हुआ कोई सामान न रखें। आखिरकार चमड़ा मृत जानवरों के भाग से बना होता है। अत: चमड़े से बनी हुई वस्तुएं जैसे चमड़े का बेल्ट, जूते या बैग मूर्ति से दूर रखें।

* गणेश जी को विराजमान करने के लिए ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व कोण शुभ माना गया है लेकिन भूलकर भी इन्हें दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण यानी नैऋत्य में नहीं रखें इससे हानि होती है।

* वास्तु विज्ञान के अनुसार अगर घर में रखी गणेश जी की मूर्ति खंडित हो जाए या मूर्ति बेरंग होने लगे तो उसे नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें और उसकी जगह नई मूर्ति को स्थापित करें। खंडित और बेरंग हो चुकी मूर्ति से सकारात्मक उर्जा का संचार नहीं होता है और लाभ नही मिलता है।