हिन्दू धर्म में सावन के सोमवार का विशेष महत्व माना जाता हैं। क्योंकि सावन का महीना शिव शंकर का सबसे पसंदीदा महीना हैं और सावन के इस महीने में ही भगवान शिव की शादी माँ पार्वती से हुई थी। सावन के सोमवार के इस महत्व को देखते हुए ही इस दिन व्रत-वास किये जाते हैं। अगर सोमवार के इस व्रत को सफलतापूर्वक किया जाता हैं तो भगवान शिव अपनी कृपा भक्तों पर बरसाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ती करते हैं। इसलिए आज हम आपको सावन के सोमवार की पूर्ण व्रत-विधि के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप इस व्रत को अच्छे से कर सकें और शिवजी की कृपा पा सकें। तो आइये जानते हैं सोमवार व्रत की विधि।
सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
सावन सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें। घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें-
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये' इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्। पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥ 'ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवायै' नमः से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें। आरती कर प्रसाद वितरण करें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।