आज अमावस्या हैं और सोमवार को आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवती अमावस्या का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व होता हैं। ग्रंथों में कहा गया है कि सोमवार को अमावस्या बड़े भाग्य से ही आती है। पांडव पूरे जीवन तरसते रहे, परंतु उनके संपूर्ण जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई। इस अमावस्या को लोगों द्वारा नदी स्नान और दान-पुण्य बढ़-चढकर किया जाता हैं। इस दिन लोगों के द्वारा कई विशेष कार्य भी किये जाते हैं तो कुछ कार्य निषेध भी हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं सोमवती अमावस्या के दिन ध्यान रखने वाली बातों के बारे में।
* इस दिन यदि गंगाजी जाना संभव न हो तो प्रात: किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें। अमावस्या के दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है।
* सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करना चाहिए। ओंकार का विशेष जप करना चाहिए। सूर्य नारायण को अर्घ्य देना चाहिए। यह सब साथ में किया जाए तो अति उत्तम है। अगर नहीं हो सके तो सिर्फ तुलसी जी की 108 बार प्रदक्षिणा करने से ही घर की हर प्रकार की दरिद्रता दूर होगी।
* इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
* जिन दंपत्ति की संतान रोगी होती है या जन्म के कुछ दिन बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती है, वे हर अमावस्या को पांच, ग्यारह या इक्कीस लीटर दूध का दान करें। दूध कुंवारी कन्या को या रोगियों को वितरित किया जाए तो उसका अधिक पुण्य मिलता है। इससे रोगी संतान स्वस्थ होती है और उसका जीवन भी लंबा होता है। अमावस्या के दिन किसी को कटुवचन नहीं कहने चाहिए।
* अमावस्या पर घर में लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए। अगर आप घर में अमावस्या पर परिवार के सदस्यों से वाद-विवाद करते हैं तो इस दिन पितरों की कृपा नहीं मिलती है इसलिए इस दिन घर में शांति का वातावरण बनाएं रखना चाहिए।
* अमावस्या पर भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इसकी वजह से हमारे चारो ओर नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती है इसलिए अमावस्या की रात को किसी सुनसान जगह पर जाने से बचना चाहिए खासतौर पर श्मशान की तरफ तो कभी भूलकर भी नहीं जाना चाहिए।