चैत्र माह की नवरात्री चल रही हैं। इन दिनों में मातारानी के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं और उन्हें प्रसन्न किया जाता हैं। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा नवरात्री के दिनों में उपवास रखा जाता हैं। नवरात्री के इन दिनों में उपवास के समय कुछ नियमों का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं। तो नवरात्र के उपवास का शुभफल पाने के लिए इन नियमों को जानकर उनकी पूर्ती की जानी चाहिए। तो आइये जानते हैं नवरात्री में उपवास रखते समय ध्यान रखने वाले नियमों के बारे में।
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भिक्षुओं को खाली हाथ न जाने दें : वैसे तो कभी भी घर के द्वार पर आए भिक्षुकों को खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए। नवरात्र में इन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि आपके द्वार पर आए गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराएं। नवरात्र के दिनों में कोई कन्या आए तो उसे मीठा खिलाना शुभ माना गया है।
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रात्रि पूजा : नवरात्र में रात्रि पूजा का अपने आप में काफी महत्व होता है। रात्रि में देवी की पूजा अधिक फलदायी मानी गई है। सप्तमी, अष्टमी की रात में देवी की पूजा का जिक्र देवी भगवत् पुराण में भी मिलता है। इन रातों में पूजा सिद्धि प्रदान करने वाली मानी गई है।
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आलस्य और यौन संबंध : विष्णु पुराण में बताया गया है कि नवरात्र के दिनों में शारीरिक संबंध से बचना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दौरान दिन में सोने से भी बचना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि यह साधना और सिद्धि पाने का समय माना गया है।
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शुद्धता और पवित्रता : नवरात्र में शुद्धता का ख्याल रखना बेहद जरूरी माना गया है। पूरे नौ दिन पवित्रता और सात्विकता बनाए रखते हुए देवी की पूजा अर्चना करने का नियम है।
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विवाह संस्कार : नवरात्र के दिनों में शादी-विवाह जैसे आयोजनों की भी मनाही है। दरअसल विवाह का मुख्य उद्देश्य संतान की उत्पत्ति माना गया है और नवरात्र में ऐसे किसी भी कर्म की मना होती है। यह समय केवल मां की भक्ति और साधना का माना गया है।
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पूजन में रखें ध्यान : नवरात्र के दिनों में देवी की पूजा में इस बात का जरूर ध्यान रखें कि देवी के साथ उनके वाहन, महिषासुर और योगिनियों की पूजा जरूर करें। महिसासुर को देवी के हाथों से मृत्यु प्राप्त होने के कारण देवी का सायुज्य प्राप्त है इसलिए इसकी पूजा के बिना देवी की पूजा अधूरी मानी जाती है।