नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार आता है, जिनमें शामिल हैं- चैत्र नवरात्रि, शरद नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघ गुप्त नवरात्रि। हालांकि इन सभी नवरात्रि में से चैत्र और शरद नवरात्रि का खास महत्व होता है। माघ और आषाढ़ माह में आने वाली गुप्त नवरात्रि के बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होता है। गुप्त नवरात्रि में भी मां दुर्गा की ही पूजा की जाती है लेकिन इसे गुप्त तरीके से किया जाता है। आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 30 जून से 8 जुलाई तक रहेंगे। इन दिनों में 10 महाविद्याएं काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी व कमला देवी की आराधना होती है। इन दिनों में कोई खास इच्छा के पूरी होने की कामना से ही 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा को गुप्त रखा जाता है। माना जाता है कि इस दौरान आप जितनी गुप्त तरीके से पूजा करते हैं उतना ही फायदा मिलता है। ऐसे में इस दौरान सार्वजनिक तौर पर पूजा नहीं करनी चाहिए। गुप्त नवरात्रि में तंत्र और मंत्र दोनों के जरिए पूजा की जाती है। इस दौरान उत्तर दिशा की ओर मुंह करके मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान- इस नवरात्र में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- तामसिक चीजों से बचना चाहिए।
- घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- तामसिक भोजन न करें, फलाहार करें।
- बुरे विचारों और गलत कामों से बचें।
- घर में क्लेश न करें।
- नौ दिन व्रत रखने वाले साधकों को गंदे कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
- नमक और अन्न नहीं खाना चाहिए।
- दिन में सोना नहीं चाहिए।
- किसी को भी अपशब्द नहीं बोलना चाहिए।
- साधक को दोनों समय देवी की आरती करनी चाहिए।
- इन दिनों में दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष लाभदायी होते है।