
आज मंगलवार और साथ ही ज्येष्ठ महीने का दूसरा 'बड़ा मंगल', जिसे लेकर पूरे उत्तर भारत, खासकर उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरीयों—लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और अयोध्या—में भक्ति और श्रद्धा का माहौल चरम पर है। बड़ा मंगल हनुमान जी को समर्पित वह विशेष पर्व है, जो ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार को मनाया जाता है और इसका धार्मिक व सामाजिक महत्व बेहद गहरा है।
भोर से लगी भक्तों की कतारेंसुबह होते ही हनुमान मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। लोग सिर पर प्रसाद, तुलसी की माला, सिंदूर और लड्डू लेकर मंदिर पहुंचे और बजरंगबली को चोला चढ़ाकर आरती में भाग लिया। ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हनुमान’ के जयकारों से मंदिरों का माहौल भक्तिमय हो गया। इस दिन कई जगहों पर भव्य भंडारों का आयोजन होता है, जहां निःशुल्क भोजन वितरित किया जाता है।
हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठश्रद्धालु मंदिरों में बैठकर सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं। पंडितों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इन धार्मिक ग्रंथों का पाठ इस दिन विशेष फलदायक होता है और संकटों से मुक्ति दिलाता है।
बड़ा मंगल व्रत के नियमजो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए:
• सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
• पूजा करते समय लाल वस्त्र धारण करें, सफेद या काले रंग से बचें।
• दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करें और नमक का सेवन न करें।
• बाल और नाखून न काटें, और मन को संयमित रखें।
• भोजन में फल, दूध या मीठी वस्तुएं ही ग्रहण करें।
• हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर, चमेली का तेल, लड्डू और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
धार्मिक महत्वबड़ा मंगल को लेकर मान्यता है कि हनुमान जी इस दिन विशेष रूप से धरती पर विचरण करते हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार की मनोकामना पूरी करते हैं। उत्तर भारत में यह दिन भगवान हनुमान के प्रति विशेष आस्था और उपासना का प्रतीक बन चुका है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से शनि, राहु और केतु के दोष भी शांत हो जाते हैं।
सामाजिक पहलू भी जुड़ा हैबड़ा मंगल का पर्व सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। इस दिन जगह-जगह जल सेवा, फल वितरण, निःशुल्क चिकित्सा शिविर, और गरीबों को कपड़े व भोजन बांटने जैसी सेवाएं भी देखने को मिलती हैं। कई सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवकों द्वारा यह काम किया जाता है, जिससे यह पर्व धार्मिक के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द का भी प्रतीक बन गया है।