दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली अथवा नरक चौदस के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रानुसार कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी को जिस दिन चंद्रोदय के समय चतुर्दशी हो उस दिन रूप चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन धन व वैभव की देवी लक्ष्मी के समान सृष्टि में सौन्दर्यवान अन्य कोई नहीं है। महालक्ष्मी को स्वच्छता व सुन्दरता अत्यंत पसंद है। इसलिए महालक्ष्मी के पूजन से पूर्व सभी व्यक्ति अपने गृहकार्यों से निवृत्त होकर अपने शरीर पर उबटन आदि लगाकर स्वरूप निखारने का प्रयास करते हैं और लक्ष्मीजी के पूजन की तैयारी करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे कार्य जो रूप चौदस के दिन करने चाहिए।
# नरक चतुर्दशी के दिन लाल चंदन, गुलाब के फूल व रोली के पैकेट को की पूजा करें और उसके बाद उन्हें एक लाल कपड़े में बांधकर उसे अपनी तिजोरी में रखें, इस उपाय को करने से धन लाभ होता है और धन घर में रुकता भी है।
# पांच दिवसीय इस पर्व का प्रमुख पर्व लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली होता है। इस दिन रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए, जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है।
# यमराज को प्रसन्न करने तथा यममार्ग के अंधकार को दूर करने की कामना के साथ दीपदान किया जाता है। इस दिन प्रदोष के समय तिल, तेल से भरे हुए प्रज्वलित और सुपूजित चौदह दीपक लेकर अंधकार के निवारण के लिए ब्रह्मा, विष्णु व शिव के मंदिर, मठ, परकोटा, बाग-बगीचे, बावड़ी, घुड़शाला तथा अन्य निर्जन स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं। इस प्रकार दीपदान से यमराज प्रसन्न होते हैं। लिंग पुराण के अनुसार नरक से मुक्ति से लिए इस दिन दीपदान किया जाता है।
# इस दिन स्नान से पहले शरीर पर तिल्ली के तेल से मालिश जरुर करनी चाहिए ,(कार्तिक मास में बहुत से लोग तेल का उपयोग नहीं करते है वह भी इस दिन तेल से मालिश कर सकते है)
# इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य एक तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्वलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं चार बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे ऐसा प्रयास करें।
# लिंग पुराण के अनुसार इस दिन उड़द के पत्तों के साग से युक्त भोजन करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है।