गणेशजी को सुखकर्ता और विघ्नहर्ता माना जाता हैं। इसलिए कोई भी पूजा हो सबसे पहले गणपति जी का ही पूजन किया जाता हैं। गणेशोत्सव का पर्व गणेश चतुर्थी के साथ ही शुरू हो जाता हैं और गणेशोत्सव के इन दिनों में गणपति जी की पूजा-अर्चना करते हुए उन्हें भोग लगाया जाता हैं। लेकिन गणपति जी की पूजा में कई बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं। जी हाँ, गणेशजी की पूजा में कई चीजें ऐसी है जिनका प्रयोग वर्जित माना गया हैं और उनको गणेश पूजन में काम में लेना अशुभ प्रभाव लेकर आता हैं। तो आइये जानते हैं उन चीजों के बारे में।
* तुलसीगणेश पुराण में कथा है कि देवी तुलसी भगवान गणेश को तपस्या में लीन देखकर उन पर मोहित हो गईं और विवाह का प्रस्ताव दे दिया। लेकिन गणेश जी ने यह कहकर विवाह से इंकार कर दिया है कि वह आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे। देवी तुलसी ने गणेश जी को क्रोधित होकर शाप दे दिया कि आपको विवाह करना होगा, आप ब्रह्मचारी नहीं रह पाएंगे। गणेशजी ने भी आवेश में आकर तुलसी को शाप दे दिया कि आपका पति एक असुर होगा। इस कारण से तुलसी का विवाह जलंधर नाम के असुर से हुआ और तुलसी गणेशजी पूजा में वर्जित हो गई।
* टूटे और सूखे चावलअटूट चावल को अक्षत कहा जाता है। गणेश जी को जल से गीला करके अक्षत अर्पित करना चाहिए। गणेशजी का एक दांत टूटा हुआ हैं इससे गीला चावल होने पर उन्हें स्वीकार करना गणेश के लिए सहज होता है। टूटे चावल को अशुद्ध माना जाता है और सूखा चावल होने पर कठोरता के कारण गणेशजी उसे स्वीकार नहीं करते हैं।
* सफेद फूलगणेश जी के लाल फूल प्रिय है। गणेश पुराण में जिक्र किया गया है कि गणेशजी की पूजा लाल फूल से करनी चाहिए। गणेशजी ऊर्जा और उत्साह के प्रतीक हैं इसलिए इनकी पूजा में उत्साहवर्धक रंग लाल फूल और सिंदूर का प्रयोग किया जाता है। सफेद पुष्प का संबंध चन्द्रमा से होने के कारण गणेशजी को नहीं चढ़ता। गणेशजी को देखकर चन्द्रमा ने उनका उपहास किया था। इसके लिए गणेश जी ने चन्द्रमा को शाप दिया और उनसे संबंधित चीजों को अपनी पूजा में वर्जित कर दिया।
* ये चीजें भी हैं वर्जितगणेश जी की पूजा में सफेद वस्त्र, सफेद जनेऊ और सफेद चंदन का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। लाल और पीले रंग के इन चीजों के प्रयोग करें।