साल 2018 कि होली 1 मार्च को हैं। होली से आठ दिन यानी 23 फरवरी से होलाष्टक शुरु हो गया है जो 1 मार्च अर्थात होलिका दहन के दिन तक चलेगा। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है और उससे आठ दिन पहले से ही होली की तैयारियों की शुरुआत को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है। होलाष्टक को ज्योतिषीय रूप से एक दोष माना जाता हैं। इसलिए इस समय में कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें करना निषेध माना गया हैं। तो आइये जनते हैं उन कामों के बारे में जो होलाष्टक में नहीं करने चाहिए।
* सम्बन्ध बनाने में संयम : पति-पत्नी को होलाष्टक के दिनों में संयम रखना चाहिए। इस दौरान बने संबंध से पैदा होने वाली संतान को जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। होलाष्टक का समय भक्ति और ध्यान के लिए श्रेष्ठ है।
* गर्भवती स्त्रियां पार न करें नदी-नाले : हिंदू धर्म में गर्भवती स्त्री को विशेष सम्मान और संरक्षण दिया जाता है। इसलिए उसकी रक्षा के लिए कई तरह के नियम भी बनाए गए हैं। जिस तरह सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने की मनाही रहती है, उसी तरह होलाष्टक के दौरान भी गर्भवती स्त्रियों को नदी-नाले पार करने की मनाही रहती है।
* बिजनेस शुरू करना, नया गृह प्रवेश : होलाष्टक के दिनों में ग्रहों के उग्र होने के कारण नया कार्य प्रारंभ करना, बिजनेस शुरू करना, नया गृह प्रवेश, विवाह, वाहन की खरीदी, जमीन, संपत्ति की खरीदी, मुंडन आदि समस्त मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। होलाष्टक के दौरान किए गए कार्यों से कष्ट होता है। इस दौरान किए गए विवाह संबंध जल्द ही टूट जाते हैं क्योंकि घर में लगातार विवाद, क्लेश बना रहता है।
* वाद-विवाद से बचे : ज्योतिष में होली का काफी अधिक महत्व है। इस दिन किए गए पूजा-पाठ से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। अगर आप महालक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो होली तक घर में शांति बनाए रखें। किसी भी प्रकार का वाद-विवाद न करें। अन्यथा होली पर की गई पूजा से शुभ फल नहीं मिल पाएंगे।
* जल्दी उठे : इन दिनों में सुबह देर तक सोने से बचना चाहिए। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इस बात का ध्यान नहीं रखेंगे तो आलस्य बढ़ेगा और देवी-देवता की कृपा नहीं मिल पाएगी।
* शुभ कार्य वर्जित : होलाष्टक के दिनों में शुभ काम जैसे विवाह सगाई नए घर में प्रवेश मुंडन गोद भराई आदि नहीं करना चाहिए। ज्योतिष की मान्यता है कि इन दिनों में सभी नौ ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है और उनसे शुभ फल नहीं मिल पाते हैं। इसीवजह से होलाष्टक में ये सभी काम नहीं किए जाते हैं।