सावन स्पेशल : जीवन संवार सकते हैं शिवजी द्वारा बताए गए कलयुग के ये राज

शिव का अतिप्रिय महीना सावन चल रहा हैं जिसमें भगवान शिव धरती पर आकर भक्तों की परेशानियों का निवारण करते हैं। ऐसे में सावन के इस महीने में कई उपाय कर शिव को प्रसन्न किया जाता है। शिवपुराण में बताई गई बातें भी व्यक्तिके जीवन पर सकरात्मक असर डालती है। शिवपुराण में वर्णित एक प्रसग के अनुसार्ब भगवान शिव ने मां पार्वती को कलयुग के कुछ राज बताए थे जिन्हें जानकर और अपनाकर व्यक्ति अपना जीवन संवार सकता हैं। तो आइये जानते हैं शिवजी द्वारा बताए गए कलुयुग के उन राज के बारे में।

क्या है सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा पाप

माता पार्वती भगवान शिव से यह पूछती है कि आखिर मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा पाप क्या है? भगवान शिव ने उनकी शंका मिटाते हुए उन्हें उनके इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म होता है सत्य बोलना तथा सत्य का साथ देना। मनुष्य यदि झूठ बोलता है अथवा वह झूठ का साथ देता है तो यह सबसे बड़ा पाप है। इसलिए हर मनुष्य को अपने मन, अपने काम तथा अपनी बातों से हमेशा उन व्यक्तियों को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए जिनमें सच्चाई हो तथा हर परिस्थिति में सत्य का मार्ग अपनाना चाहिए।

कुछ भी करने से पूर्व रखें इस बात का ध्यान

मनुष्य को उसके हर काम का साक्षी खुद ही बनाना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा कर्म हो या बुरा। मनुष्य को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि उसके कर्मों को कोई देख नहीं रहा। कई लोग कोई गलत काम करते समय मन में यह भाव रखते है कि उन्हें उनके इस कार्य को करते हुए कोई नहीं देख रहा जिस कारण उन्हें उस कार्य को करते समय किसी भी बात का भय नहीं रहता। परन्तु वास्तविकता का उसे ज्ञान नहीं होता। अत: मनुष्य को अपने हर कर्म का साक्षी खुद ही होना चाहिए। यदि मनुष्य कोई भी पाप करने से पूर्व यह भाव अपने मन में रखेगा तो वह अपने आप को किसी भी पाप को करने से रोक लेगा।

हमेशा अपने नियंत्रण में रखें ये 3 चीजें

मनुष्य को हमेशा अपनी वाणी, मन और कर्मों पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है। मनुष्य को कभी भी अपने मुंह से किसी के लिए भी अपशब्द नहीं निकालने चाहिए तथा उसे अपने मन को अपने नियंत्रण में रखना चाहिए, क्योंकि यदि मनुष्य इन पर अपना काबू नहीं रख पाता तो यही अंत में मनुष्य के सर्वनाश का कारण बनते हैं।

सफलता पाने के लिए रखें इस बात का ध्यान

संसार में मनुष्य को कोई न कोई वस्तु अत्यधिक प्रिय होती है या मनुष्य का उस ओर अत्यधिक लगाव हो जाता है जिस कारण लगाव और मोह का एक जाल सा बन जाता है जिससे बहार निकल पाना मनुष्य के लिए असंभव हो जाता है। इससे मुक्ति पाए बिना मनुष्य कभी भी सफलता नहीं पा सकता अत: भगवान शिव ने इससे बचने का एक उपाय बताया है। मनुष्य को जिस किसी भी वस्तु आदि से लगाव होता प्रतीत हो रहा हो उसे उस वस्तु में दोष तलाशना आरंभ कर देना चाहिए। सोचना चाहिए कि यह कुछ पल का लगाव हमारी सफलता में बाधा पैदा कर रहा है जो हमारी पूरी जिंदगी को व्यर्थ कर देगा। इस प्रकार सोचने से मनुष्य धीरे-धीरे अपने आपको उस वस्तु के मोह से दूर होता हुआ पाएगा और अपने कामों में सफल होने लगेगा।

इस तथ्य को जान लेने पर मनुष्य कभी दुखी नहीं रहेगा

यदि मनुष्य अपनी तृष्णा अथवा इच्छाओं पर काबू पा ले तो उसे किसी भी प्रकार के दु:ख का सामना नहीं करना पडे़गा, क्योंकि मनुष्य की अनावश्यक इच्छा ही समस्त दुखों की जननी होती है। भगवान शिव के द्वारा माता पार्वती को समझाए गए इस ज्ञान में जीवन के समस्त दुखों के निवारण की बात की गई है।