आषाढ महीने का अंतिम दिन गुरु पूर्णिमा के तौर पर पूरे भारत में मनाया जाता हैं। भारत में इस दिन को त्योंहार के रूप में मनाया जाता हैं। क्योंकि भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से बढ़कर माना जाता हैं और इस दिन सभी अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देकर उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं। अधिकतर लोग सिर्फ यही मानते हैं कि गुरु एक ही होता है लेकिन ऐसा नहीं हैं। मनु स्मृति के अनुसार, सिर्फ वेदों की शिक्षा देने वाला ही गुरु नहीं होता। हर वो व्यक्ति जो हमारा सही मार्गदर्शन करे, उसे भी गुरु के समान ही समझना चाहिए। गुरु पूर्णिमा के इस मौके पर आज हम आपको व्यक्ति के जीवन के सभी गुरुओं के बारे में बताने जा रहे हैं।
* ऐसा व्यक्ति जिसने आपको नौकरी दिलाने में मदद की हो, वो आपका सबसे बड़ा गुरु होता है। फिर चाहे वो दफ्तर में ही क्यों न हों। हमेशा उनसे सलाह लेनी चाहिए।
* ज्ञान देने वाला शिक्षक को भी गुरु के बराबर हमेशा सम्मान करना चाहिए। क्योंकि शिक्षक ही हमें कई विषयो के बारे में हमे शिक्षित करता है।
* जो हमे ज्ञान देता है उसका आदर करना धर्म माना जाता है। यही नहीं उनकी सेवा करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिए।
* ज्ञान देने वाले गुरु का पुत्र भी अगर किसी न किसी रूप में आपको कोई सीख दे रहा है तो उसे ग्रहण करके उसका भी उतना ही आदर करें, जितना आप अपने गुरु का करते हैं।
* जो व्यक्ति धर्म के कार्यो में हमेशा लगा रहता है उसे भी गुरु के बराबर का दर्जा देने चाहिए। अगर धर्मात्मा व्यक्ति कभी कोई सलाह दे तो उसे भी गुरु के समान समझकर उसका पालन करना चाहिए।
* परोपकार करने वाला निस्वार्थ भाव से अपना काम करता है, ये बिना अपने मतलब से सलाह देते हैं और सही रास्ता दिखाते हैं। इसीलिए ऐसे व्यक्ति को हमेशा गुरु मानना चाहिए।