इन उपायों से मिलेगी मंगल दोष में राहत, जानें और आजमाए

व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का बहुत महत्व होता हैं और इनकी गणना के अनुसार ही व्यक्ति के आने वाले समय का पता लगाया जाता हैं। कई बार ग्रहों की गलत स्थिति दोष का कारण बनती हैं और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। ऐसा ही एक हैं मंगल दोष जिसका सबसे ज्यादा असर विवाह के समय देखने को मिलता हैं। मंगल आक्रामक पापी ग्रह माना जाता है। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ उपाय लेकर आए है जिनकी मदद से मंगल दोष में राहत पाई जा सकती हैं। तो आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में।

पूजा-पाठ

कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ एवं पूजा, वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और हनुमानजी के प्रतिदिन दर्शन, पूजन कर दीपदान, लक्ष्मी स्तोत्र, गणपति स्तोत्र, महागायत्री उपासना आदि में से जो भी संभव हो, वह उपाय करने से मंगल के अनिष्ट शांत होते हैं।

जप-तप

मंगल के मंत्र, हनुमानजी के मंत्रों का जाप, 11, 21, 28 या 43 मंगलवार के व्रत या विनायकी व्रत करने से मंगल के अनिष्ट शांत होते हैं।

स्नान

लाल चंदन, लाल पुष्प, बेल की छाल, जटामांसी, मौलश्री (मूसली), खिरेटी, गोदंती, मालकांगुनी तथा सिंगरक आदि में से जो सामग्री उपलब्ध हो उन्हें मिश्रित कर डाले गए जल से स्नान करने से मंगल के अनिष्ट शांत हो जाते हैं।

दान

लाल रंग के वस्त्र या पुष्प या अन्य सामग्री, मसूर, गुड़, लाल चंदन, घी, केशर, गेहूं, मिठाई या मीठे पदार्थ, पताशे, रेवड़ी आदि के दान करने से मंगल के शुभ फलों में वृद्धि होती है।

धातु रत्नादि

सोने की अंगूठी में मूंगा (लगभग 6 रत्ती) धारण करना चाहिए। मूंगे के अभाव में तांबा, संगमूशी या नागजिह्वा, गो जिह्वा जड़ी को धारण करना चाहिए। अंगूठी (सोना या तांबा) मध्यमा अंगुली में धारण करें। मूंगे के अलावा जो भी धातु या उपरत्न या जड़ी धारण करें, उसे प्रति तीन वर्ष बाद परिवर्तित करते रहें, क्योंकि मंगल संबंधी उपरत्नों का प्रभाव प्रति ‍3 वर्ष में समाप्त हो जाता है।

अन्य सरल उपाय

हुनुमानजी के मंदिर में प्रतिदिन निश्चित संख्या में उड़द दान करना, मंगलवार को सिंदूर चढ़ाना, स्वयं सिंदूर का टीका लगाना (यह उपाय संयमी लोगों के लिए है), मंगलवार को गुड़, मसूर की दाल का दान करना, सदैव मेहमानों को भोजन के बाद सौंफ और मिश्री देना, रेवड़ी अर्थात गुड़ और तिल्ली, पताशे लोगों को खिलाना या जल में प्रवाहित कराना, लाल वस्त्र पहनना या लाल रूमाल रखना, भाइयों को दुखी न करना, भोजन में सदा तुलसी पत्र और कालीमिर्च का उपयोग करना आदि उपायों से मंगल से होने वाले अनिष्ट शांत होते हैं।