महाशिवरात्र‍ि के ये 6 रहस्य शायद ही जानते होंगे आप, आइये जानें

हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं। लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन शिव को समर्पित होता हैं और हर तरफ आस्था का म अहुल नजर आता हैं। कई लोग इस दिन आस्था प्रकट करते हुए व्रत-उपवास भी रखते हैं। आज हम आपको महाशिवरात्रि के कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। तो आइये जानें इसके बारे में।

- शिवरात्रि बोधोत्सव है। ऐसा महोत्सव, जिसमें अपना बोध होता है कि हम भी शिव का अंश हैं, उनके संरक्षण में हैं।

- माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में (ब्रह्म से रुद्र के रूप में) अवतरण हुआ था।

- ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात आदि देव भगवान श्रीशिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभा वाले लिंगरूप में प्रकट हुए थे।

- ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चंदमा सूर्य के नजदीक होता है। उसी समय जीवनरूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है। इसलिए इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने का विधान है।

- प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं। इसलिए इसे महाशिवरात्रि या जलरात्रि भी कहा गया है।

- इस दिन भगवान शंकर की शादी भी हुई थी। इसलिए रात में शंकर की बारात निकाली जाती है। रात में पूजा कर फलाहार किया जाता है। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेल पत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।