Janmashtami 2019: आपको कामयाब बना सकते हैं श्रीकृष्ण जीवन के ये 5 मूलमंत्र

भगवान श्रीकृष्ण का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व माना जाता हैं और इनके बालस्वरूप की तो हर घर में पूजा की जाती है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्यौंहार मनाया जाता हैं। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के रूप में उत्सव की तरह मनाया जाता हैं। भगवान श्रीकृष्ण का पूरा जन्म प्रेरणा से भरा हैं। आज जन्माष्टमी के इस विशेष दिन के आगमन पर हम आपको श्रीकृष्ण के जीवन से सीखने वाले मूलमंत्र की जानकारी देने जा रहे है जो आपको जीवन में सफलता दिलाते हुए कामयाब बना सकते हैं। तो आइये जानते हैं श्रीकृष्ण के जीवन कि इन सीख के बारे में।

माता-पिता का हमेशा आदर करना
श्रीकृष्ण को जन्म देवकी ने दिया था लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा और राजा नंद ने गोकुल में किया। यह जानते हुए कि उनके अपने माता-पिता उनसे दूर हैं। श्रीकृष्ण ने उन्हें दिल से प्रेम किया। उनका आदर और सम्मान करने में कोई कसर ना छोड़ी।

दोस्ती निभाना
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को कौन नहीं जानता? यह दोस्ती महज दोनों के प्रेम के कारण नहीं, बल्कि एक-दूसरे के प्रति आदर के कारण भी प्रसिद्ध है। किंतु आज के जमाने में दोस्ती के असली मायने कोई नहीं जानता। श्रीकृष्ण ने हमेशा अपने मित्र सुदामा और अर्जुन का साथ दिया था।

शान्त स्वभाव रखना
हम सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण बचपन से ही नटखट थे, फिर भी वह बेहद शान्त स्वभाव के थे। कृष्ण जी भगवान विष्णु के अवतार थे और वे यह बात जानते भी थे कि कंस मामा उन्हें बार-बार मारना चाहते थे, फिर भी वे शांत रहते थे और समय आने पर कंस के हर प्रहार का मुंह तोड़ दिया। इससे सीख मिलती है कि कठिन समय में भी अपने शान्त स्वभाव का त्याग नहीं करना चाहिए।

साधारण जीवन जीना
भगवान श्रीकृष्ण एक बड़े घराने से संबंध रखते थे वह गोकुल में राजा नंद के पुत्र थे फिर भी वे गोकुल के अन्य बालको की तरह ही रहते, घूमते और खेलते रहते थे। उन्होंने कभी भी किसी में कोई अंतर नहीं रखा। उनमें राज घराने का कोई घमंड नही आया हमेशा उनके चहेरे पर सरल भाव रखते थे।

कभी हार न मानना
भगवान श्रीकृष्ण ने कभी भी हार न मनाने का संदेश दिया था। अंत का प्रयास करते रहना चाहिए, भले ही परिणाम हमारे पक्ष में क्यों न हो।