महाभारत के ये 5 सबक बना सकते है आपका जीवन सफल, जानें और अपनाए

महाभारत के बारे में हम सभी जानते हैं कि किस तरह इस युद्ध में सत्य की जीत हुई थी। लेकिन क्या महाभारत हमारे लिए सिर्फ एक कहानी बनकर रह गई। जी नहीं, महाभारत एक ज्ञान का सागर हैं जिससे ज्ञान लेकर हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। हांलाकि वर्तमान समय कलयुग का हैं लेकिन आज भी ऐसी कई स्थितियां आती हैं जब महाभारत से ली गई सीख आपको फैसला लेने में आसानी प्राप्त करवाती हैं। आज हम आपको महाभारत के कुछ ऐसे सबक बताने जा रहे हैं जिनको जीवन में अपनाकर आप अपनी मुश्किल राह को आसान बना सकते हैं। तो आइये जानते हैं महाभारत के इन सबक के बारे में।

लालच में कभी मत बहो
महाभारत का भीषण युद्ध टाला जा सकती था यदि धर्मराज युद्धिष्ठिर लालच में न बहे होते। जुए में शकुनी ने युद्धिष्ठिर के लालच को बखूबी भुनाया और उनसे राज-पाठ धन दौलत तो छीन ही लिया यहां तक कि उनसे उनकी पत्नी द्रौपदी को भी जीत लिया।

बदले की भावना केवल विनाश लाती है
महाभारत के युद्ध के मूल में बदले की भावना है। पांडवों को बर्बाद करने की सनक ने कौरवों से उनका सबकुछ छीन लिया। यहां तक की बच्चे भी इस युद्ध में मारे गए। लेकिन क्या इस विनाश से पांडव बच पाए? नहीं। इस युद्ध में द्रौपदी के पांचों पुत्र सहित अर्जुन पुत्र अभिमन्यु भी मारे गए।

हर कुर्बानी देकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करना
अपने ही परिवारजनों के खिलाफ युद्ध करने को लेकर अर्जुन पहले अनिश्चितता की स्थिति में थे। लेकिन कृष्ण ने गीता के उपदेश के दौरान उन्हें अपने कर्तव्य, अपने क्षत्रीय धर्म का याद दिलाया। कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि धर्म का निर्वहन करने के लिए यदि तुम्हें अपने प्रियजनों के खिलाफ भी लड़ना पड़े तो हिचकना नहीं चाहिए। कृष्ण से प्रेरित होकर अर्जुन सभी अशंकाओं से मुक्त होकर अपने योद्धा होने के धरम का पालन किया।

हर हाल में दोस्ती निभाना
कृष्ण और अर्जुन की दोस्ती हर कालखंड में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत की जाती रही है। वह कृष्ण का निस्वार्थ समरथन और प्रेरणा ही था जिसने पांडवों को युद्ध में विजय दिलाने में अहम भूमिका अदा की। कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती भी कम प्रेरणाप्रद नहीं है। कुंति पुत्र कर्ण अपने दोस्त दुर्योधन की खातिर अपने भाइयों से लड़ने में भी पीछे नहीं हटे।

अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है
अर्जुन पुथ अभिमन्यु की कहानी हमें सिखाती है कि अधुरा ज्ञान कैसे खतरनाक साबित होता है। अभिमन्यु यह तो जानते थे कि चक्रव्युह में कैसे प्रवेश करना है लेकिन चक्रव्युह से बाहर कैसे आना है इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। इस अधुरे ज्ञान का खामियाजा अत्याधिक बहादुरी दिखाने के बाद भी उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।