अश्विन मास का एक पक्ष श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता हैं। इस पक्ष में दान-पुण्य का बड़ा महत्व होता हैं और इसी के साथ ही पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता हैं। पितरों के श्राद्ध में ब्राहमणों को भोज भी कराया जाता हैं ताकि पितरों को आशीर्वाद मिल सकें। लेकिन ऐसे में श्राद्ध का भोज करने वाले श्राद्धभोक्ता को भी कुछ नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती हैं। आज हम आपको श्राद्धभोक्ता द्वारा अपनाए जाने वाले नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।
* श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध भोज वाले दिन श्राद्धकर्ता के अतिरिक्त कहीं अन्यत्र भोजन नहीं करना चाहिए।
* श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध का भोजन करते समय मौन रहकर भोजन ग्रहण करना चाहिए, केवल हाथों के संकेत से अपनी बात प्रकट करनी चाहिए।
* श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध के भोजन की प्रशंसा या निंदा नहीं करनी चाहिए।
* श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध वाले दिन किसी को दान नहीं देना चाहिए।
* श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध वाले दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।