नवरात्रि के त्योहार की रौनक सभी ओर देखी जा सकती हैं। सभी मातारानी की भक्ति में लीन हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की चाह रखते हैं। आज मातारानी के मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती हैं। ब्रह्मचारिणी माता का स्वरुप तेजयुक्त होता हैं, जिसे देखने मात्र से जीवन के दुख दूर होते हैं और सफलता प्राप्त होती हैं। आज हम आपके लिए मां ब्रह्मचारिणी के स्वरुप का पूर्ण वर्णन लेकर आए हैं। पुराणों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को बहुत कठोर तपस्या करने के बाद यह स्वरुप प्राप्त हुआ हैं। तो आइये जानते हैं ब्रह्मचारिणी स्वरूप के बारे में।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप परम खिलते हुए कमल जैसा है जिसमें से प्रकाश निकल रहा है परम ज्योर्तिमय है, ये शांत और निमग्न होकर तप में विलीन हैं । इनके मुखमंडल पर कठोर तप के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर करने में सक्षम है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्षमाला (जाप माला) है और बाएं हाथ में कमण्डल है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्मत्व का स्वरूप हैं अर्थात ब्रह्मतेज का साकार स्वरूप हैं । इनके आज्ञा चक्र से तेज निकल रहा है जैसे की इनका तीसरा नेत्र (त्रिनेत्र) हो। ये गौरवर्णा है तथा इनके शरीर से हवन कि अग्नि प्रज्वलित हो रही है। इन्होंने ध्वल रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं (ध्वल का अर्थ ऐसे रंग से है जैसे किसी ने दूध में कुमकुम मिला दिया हो) । मां ने कमल को अपना श्रृंगार बना लिया है, इनके कंगन, कड़े, हार, कुंडल तथा बाली आदि सभी जगह कमल जड़े हुए हैं अतः स्वर्णमुकुट पर कमल की मुकुटमणि जड़ी हो जैसे । मां ब्रह्मचारिणी का ये स्वरुप माता पार्वती का वो चरित्र है जब उन्होंने शिव (ब्रह्म) कि साधना के लिए तप किया था।