आज नवरात्रि का पहला दिन हैं जो कि मातारानी के शैलपुत्री स्वरुप को समर्पित होता हैं। इस दिन सभी भक्तगण घट स्थापना करते हुए शैलपुत्री स्वरुप की पूजा करते हैं और उनसे जीवन की सभी मनोकामनाओं की पूरी का आशीर्वाद चाहते हैं। आपको इसका पूर्ण लाभ मिल सके इसके लिए आज हम माँ शैलपुत्री की पूजा विधि और स्त्रोत पाठ लेकर आए हैं। तो आइये जानें और आस्था पूर्वक करें मातारानी की पूजा।
माँ दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की पूजा विधि
- मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचें लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें। इसके ऊपर केशर से शं लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। मंत्र इस प्रकार है- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।
- मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां के तस्वीर के ऊपर छोड दें। इसके बाद भोग प्रसाद अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। यह जप कम से कम 108 होना चाहिए।
- मंत्र - ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें तथा श्रद्धा से आरती कीर्तन करें।
स्रोत पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्। धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्। सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन। मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥