दीवाली विशेष : रावण कि पत्नी मंदोदरी से जुडी रोचक बातें

रामायण के खलनायक रावण के बारे में तो आपने बहुत कुछ पढ़ा लेकिन रावण की पत्नी मंदोदरी के बारे में ज्यादा न सुना होगा। रामायण की एक प्रमुख पात्र मंदोदरी, दैत्यराज मायासुर की पुत्री और लंकापति रावण की पत्नी थी। आज इस लेख में हम मंदोदरी से जुडी कुछ रोचक और अनसुनी बातों के बारे में जानेंगे।

* हिन्दू पुराणों में दर्ज एक कथा के अनुसार, एक बार मधुरा नामक एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर पहुंची और देवी पार्वती को वहां ना पाकर वह भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयत्न करने लगी। तभी देवी पार्वती वहां पहुंचती हैं और क्रोध में आकर इस अप्सरा को श्राप देती हैं कि वह 12 साल तक मेढक बनकर कुएं में रहेगी। मधुरा की कठोर तपस्या से वह श्राप मुक्त हो जाती है। एक कुएं से मयासुर-हेमा को मधुरा की आवाज सुनाई देती है। मयासुर मधुरा को कुएं से बाहर निकालते हैं और उसे बेटी के रूप में गोद ले लेते हैं। मयासुर अपनी गोद ली पुत्री का नाम मंदोदरी रखते हैं। जिनसे रावण बाद में विवाह करता है।

* मंदोदरी के बारे में जो कथा मिलती है उसके अनुसार यह हेमा नाम की अप्सरा की बेटी थी। देवराज इंद्र की सभा में एक बार कश्यप ऋषि के पुत्र माया की नजर हेमा पर गयी और वह मोहित हो गया। माया ने हेमा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा विवाह के पश्चात हेमा ने मायासुर की पुत्री की जन्म दिया जो मंदोदरी कहलायी। अप्सरा की बेटी होने के कारण मंदोदरी बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी।

* एक बार रावण, मयासुर से मिलने आया और वहां उनकी खूबसूरत पुत्री को देखकर उस पर मंत्रमुग्ध हो गया। रावण ने मंदोदरी से विवाह करने की इच्छा जाहिर की, जिसे मायासुर ने अस्वीकार कर दिया। लेकिन रावण ने हार नहीं मानी और जबरन मंदोदरी से विवाह कर लिया। मंदोदरी जानती थी कि रावण अत्यंत शक्तिशाली है, इसलिए अपने पिता की सुरक्षा के लिए वह रावण के साथ विवाह करने के लिए तैयार हो गई। रावण और मंदोदरी के तीन पुत्र हुए अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय।

* मंदोदरी के बारे में ऐसी कथा है कि देवी सीता इन्हीं की पुत्री थी। ज्योतिषियों ने सीता को देखने के बाद कहा था कि इन्हें महल से निकाल दो यह लंका में रहेगी तो लंका का विनाश कर देगी। इसलिए रावण ने सीता को कलश में छुपाकर भूमि में दबा दिया।

* एक कथा यह है कि रावण की मृत्यु एक खास बाण से हो सकती थी। इस बाण की जानकरी मंदोदरी को थी। हनुमान जी ने मंदोदरी से इस बाण का पता लगाकर चुरा लिया जिससे राम को रावण का वध करने में सफलता मिली।