जीवन में हमेशा अलग अलग तरह की परेशानी आती रहती है, कभी कुछ हो गया, कभी पैसों की किल्लत तो कभी पारिवारिक समस्याएं, उसके समाधान के लिए मनुष्य इधर उधर भागता रहता है। अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए भगवान को नियमित रूप से याद करना और उनकी पूजा करना बहुत जरूरी होता है। कई बार ऐसा होता है कि ग्रहों की चाल बदलने से जीवन में कष्टमय हो जाता है लेकिन ग्रहों की अनिष्टदायक स्थिति को अपने अनुरूप बनाने के लिए कुछ सरल उपाय बताए गए है जिनका परिणाम शुभदायक होता है।
आइए जानें, ऐसे ही कुछ आसान और सरल उपाय जीवन को सुखमय बनाने के# प्रात:काल उठते ही माता-पिता, गुरु एवं वृद्धजनों को प्रणाम करें और उनका आत्मिक आशीर्वाद प्राप्त करके दिन को सफल बनाएं। इसके साथ ही 5 सुगंधित अगरबत्ती लगाकर दिन की शुरूआत करें।
# नित्य प्रति गाय को गुड़-रोटी दें। हो सके तो गाय का पूजन करके 'आज के दिन यह कामधेनु वांछित कार्य करेगी' ऐसी प्रार्थना मन में करें।
# हमेशा प्रात:काल भोजन बनाते समय माताएं-बहनें एक रोटी अग्निदेव के नाम से बनाकर घी तथा गुड़ से बृहस्पति भगवान को अर्पित करें तो घर में वास्तु पुरुष को भोग लग जाता है। इससे अन्नपूर्णा भी प्रसन्न रहती हैं।
# नित्य प्रति कुत्तों को रोटी खिलानी चाहिए और पक्षियों को दाना भी डालें तो शुभ है।
# लक्ष्मी की इच्छा रखने वाले को रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए।
# मंगलवार को बंदरों को चने खिलाना ,ऐसा करने से भी घर मे सुख शांति बनी रहती हैं।
# घर आए मेहमानों की सेवा निष्काम भाव से करनी चाहिए क्योंकि अतिथि को भगवान तुल्य माना गया है।
# यथाशक्ति कुछ न कुछ गरीबों को दान देना चाहिए। प्रत्येक प्राणी पर दयाभाव के साथ तन-मन-धन से सहयोग यथायोग्य करना चाहिए। सेवा कर यश प्राप्ति की भावना नहीं रखें।
# प्रात: स्नान करके भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाकर 108 बार '
ॐ नम: शिवाय' मंत्र की पूजा से युक्त दंडवत नमस्कार करना चाहिए।
# स्नान के पश्चात प्रात: सूर्यनारायण भगवान को लाल पुष्प चढ़ाकर बार-बार हाथ जोड़कर नमस्कार करना चाहिए।
# पितृ दोष से मुक्ति के लिए नित्य महागायत्री के महामंत्र की नियमित साधना करें तथा श्री रामेश्वर धाम की यात्रा कर वहां पूजन करें।
# अमावस्या को किसी भी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं और उसे वस्त्र और दक्षिणा दे तो उसके पितृ वर्ग प्रसन्न होते हैं और उनकी प्रसन्नता पाने से आपके जीवन के कार्य सफल होना प्रारंभ हो जायेंगे।
# प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल, कच्चा दूध थोड़ा चढ़ाकर, सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर, पीपल- इन तीनों की सविधि पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगाएं और पितृ देवाय नम: भी 4 बार बोलें तो राहु, केतु, शनि पितृ दोष का निवारण होता है।