अगर मेहनत, श्रम और ईमानदारी से काम करने और योग्यता के आधार पर यश, धन, नौकरी, व्यापार, पढ़ाई, विवाह, मकान, दुकान, रोग और सेहत में सुख नहीं मिले लगातार निरंतर हानि, अपयश, रोग, दरिद्रता कम तनख्वाह किराये का मकान में रहना आदि दुख पीछा नहीं छोड़ता है, तो समझ लेना चाहिए, कि भाग्य साथ नहीं दे रहा है।
हिंदू धर्म में संकेतों की मान्यता भी प्रचलित है। ये संकेत भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में हमें पहले से ही सूचित कर देते हैं। इन संकेतों का माध्यम सपने हो सकते हैं या किसी पशु, पक्षी की कोई खास हरकत भी। कुछ संकेत ऐसे भी होते हैं, जो हमें भाग्योदय होने के बारे में पहले से ही बता देते हैं। आवश्यकता है बस उन संकेतों को समझने की।आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे ही संकेतों के बारे में जो भाग्योदय के बारे में हमें पहले से ही सूचित कर देते हैं। आइये जानते हैं उन संकेतों के बारे में।
* हाथ में रेखाएं, क्रास और अन्य चिह्न व्यक्ति के भाग्य और सफलता के बारे में बहुत कुछ बताती हैं। रेखाओं के उदगग से बताया जा सकता है कि व्यक्ति की उन्नति और भाग्य कैसा होगा। इसके लिए सटीक विश्लेषण और रेखाओं की पूरी स्थिति का ज्ञान होना बेहद जरूरी है।
* अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सीधे हाथ में लगातार खुजली हो, तो समझ लेना चाहिए कि आपको धन लाभ होने वाला है।
* जन्म कुण्डली के चौथे भाव का स्वामी किसी शुभ ग्रह के साथ 1, 4, 5, 7, 9 व 10 वें भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को अपनी मेहनत से निर्मित उत्तम सुख-सुविधाओं ये युक्त भवन प्राप्त होता है।
* यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा की जड़ से उदित होकर बृहस्पति पर्वत पर तारक चिह्न में समाप्त हो तो यह उच्च भाग्य की सूचक होती है। यदि मणिबन्ध का पहला वलय जंजीरदार परन्तु समान, निर्बाध सूर्य रेखा त्रिकोण के निचले भाग से उदित होने के साथ में अच्छी भाग्य रेखा श्रमपूर्ण जीवन के पश्चात सफल भाग्योदय का प्रतीक है।
* दीपावली के दिन यदि कोई किन्नर संज-संवर कर दिखाई दे, तो अवश्य ही धन लाभ होता है। ये धन लाभ अप्रत्याशित रूप से होता है।
* कनिष्ठा उंगली की जड़ से एक रेखा बुध पर्वत को झुकती हुई बड़े लोगों की मित्रता से सम्मान को बताती है। भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत से उदित तथा बृहस्पति क्षेत्र से आरम्भ हृदय रेखा में लोप अप्रत्याशित सत्ता को बताती है। अंगूठा हाथ में बहुत नीचे होना सामान्य प्रतिभा को बताता है।