शास्त्रों के अनुसार जिस बांस की लकड़ी का उपयोग हम चिता में जलाने के लिए भी नहीं कर सकते उसी बांस से बनी
अगरबत्ती का उपयोग पूजा में करना निषेध माना गया है। माना जाता है की अगरबत्ती जलाने से पितृ दोष लगता है और यही कारण है की आज के समय में अधिकांश लोग किसी न किसी कारण परेशान रहते है। अगर शास्त्रों की माने तो कही भी अगरबत्ती को जलाने का वर्णन नहीं किया गाय है बल्कि धुप का वर्णन हर जगह पर मिल जाता है। आज हम आपको अगरबत्ती को जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बतायेंगे, तो आइये देखे की अगरबत्ती जलने से के नुकसान होता है...
# बांस में लेड व हेवी मेटल बहुत अधिक मात्र में मौजूद रहता जिसको जलाने पर लेड आक्साइड बनाता है जो की सेहत के लिए हानिकारक होता है।
# अगरबत्ती के जलाने से उत्पन्न हुई सुंगंध के प्रसार में फैथलिट् नाम के विशिष्ट केमिकल का प्रयोग किया जाता है, हमारे द्वारा साँस लेने से वो शरीर में प्रवेश करता है और जो सेहत के लिए हानिकारक होता है।
# इस प्रकार की सुंगध से शरीर में न्यूरोटोक्सिक और हेप्टोटोक्सिक भी शरीर में पहुंचती है। जो साँस लेने में तकलीफ़देह होती है।
# इसकी लेश मात्र उपस्थिति केंसर और मस्तिष्क के आघात का कारण बनती है। इसकी थोड़ी सी मात्रा भी लीवर को नुकसान पहुंचाती है।
# बांस का उपयोग चिता के लिए अर्थी बनाने में किया जाता है और दाह संस्कार के समय उस बांस को कभी भी नहीं जलाया जाता है।
# शास्त्रों के अनुसार अगरबत्ती जलाने से पितृ दोष लगता है, जिस घर में बांस की अगरबत्ती को इस्तेमाल किया जाता है उस घर में किसी न किसी तरह की समस्या हर समय रहती है।